तेलंगाना में वोटों की गिनती जारी है। चुनाव आयोग द्वारा जारी रुझानों के मुताबिक, राज्य में कांग्रेस 65 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं, भारत राष्ट्र समिति (BRS) के हाथ से सत्ता की बागडोर खिसकती हुई दिखाई दे रही है। बीआरएस 40 सीटों के अंदर ही सिमटती हुई नजर आ रही है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी (BJP) पहले की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है। वहीं असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम फिलहाल 6 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
बीआरएस के हाथों से फिसलती दिख रही सत्ता की डोर
मालूम हो कि निवर्तमान विधानसभा में बीआरएस के 88 सदस्य हैं। हालांकि, चुनाव आयोग द्वारा रुझानों के मुताबिक, इस बार बीआरएस 40 सीटों के अंदर ही सिमटती दिख रही है। अभी तक सत्तारूढ़ पार्टी सिर्फ 39 सीटों पर ही बढ़त बनाए हुए है। वहीं, विधानसभा में एआईएमआईएम के 7, कांग्रेस के 19, भाजपा के 1, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के पास एक विधायक है। राज्य विधानसभा में एक स्वतंत्र विधायक हैं, जबकि एक पद खाली है।
दक्षिण भारत में भाजपा ने बनाई बढ़त
इस दक्षिण भारतीय राज्य में भाजपा इस बार पहले की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करती दिख रही है। हालांकि पार्टी ने जिस हिसाब से राज्य में मेहनत की थी, उसे उम्मीद थी कि उसका प्रदर्शन शानदार रहेगा। लेकिन अगर पिछले चुनाव से तुलना करें तो अब भी उसके प्रदर्शन को शानदार ही कहा जाएगा। पिछले चुनाव में जहां पार्टी को केवल 1 सीट से संतोष करना पड़ा था तो वहीं इस बार वह कम से कम 8 सीटों पर तो बढ़त लिए हुए है। तेलंगाना विधानसभा के लिए हुए पिछले चुनाव में भाजपा के खाते में सिर्फ ए सीट आई थी। वहीं, इस बार भगवा पार्टी आठ सीटों पर बढ़त बनाए हुए है।
भाजपा के वोट प्रतिशत में हुआ इजाफा
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा फिलहाल करीब 14 प्रतिशत वोट शेयर के साथ आठ सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। वहीं, साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 6.98 प्रतिशत के साथ सिर्फ एक सीट हासिल की थी। वहीं, AIMIM करीब 1.45 प्रतिशत के साथ 6 सीटों पर आगे चल रही है। पिछले चुनाव की तुलना में असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम को नुकसान होता दिख रहा है। पार्टी को पिछली बार 2.71 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था। वहीं, राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बीआरएस के बाद दो नंबर की पार्टी रही थी, जिसको 28.43 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया था।