केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित “वन नेशन, वन इलेक्शन” (एक देश, एक चुनाव) के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने बुधवार को अपनी पहली बैठक की। इस बैठक में विधेयक के विभिन्न प्रावधानों और इससे संबंधित पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। समिति की अध्यक्षता बीजेपी सांसद पीपी चौधरी ने की, जिसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल हुए।
बैठक के मुख्य बिंदु:
1. प्रस्तावित विधेयक पर चर्चा:
- कानून और विधि मंत्रालय ने 18,000 पन्नों का प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया, जिसमें “वन नेशन, वन इलेक्शन” से जुड़े प्रावधान और इसके औचित्य को रेखांकित किया गया।
- प्रेजेंटेशन में संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश विधि (संशोधन) विधेयक के प्रावधानों को समिति के सदस्यों के समक्ष रखा गया।
2. विधेयक के समर्थन में पक्ष:
- केंद्र सरकार का मानना है कि:
- चुनाव खर्च में कमी आएगी।
- प्रशासनिक और सुरक्षा बलों पर दबाव घटेगा।
- चुनावी प्रक्रिया में बार-बार व्यवधान से बचा जा सकेगा।
3. विपक्ष का विरोध:
- विधेयक पर कड़ी आपत्ति:
- समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने इसे संविधान की भावना के खिलाफ बताया और कहा कि यह क्षेत्रीय दलों को कमजोर करने का प्रयास है।
- तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने सवाल उठाया कि “चुनाव खर्च में कमी ज्यादा जरूरी है या जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा?”
- कांग्रेस नेताओं मनीष तिवारी और मुकुल वासनिक ने इसे संविधान के “बेसिक स्ट्रक्चर” के खिलाफ बताया।
समिति की संरचना और पहली बैठक के विशेष पहलू:
- समिति में 39 सदस्य हैं, जिसमें प्रियंका गांधी वाड्रा (कांग्रेस), संजय झा (जदयू), श्रीकांत शिंदे (शिवसेना), और संजय सिंह (आप) जैसे नेता शामिल हैं।
- बैठक में 37 सांसद उपस्थित रहे।
- व्यक्तिगत कारणों से एलजेपी की सांसद शांभवी चौधरी और बीजेपी सांसद सीएम रमेश अनुपस्थित रहे।
विपक्ष के मुख्य तर्क:
- संविधान का उल्लंघन:
- विपक्ष का मानना है कि “वन नेशन, वन इलेक्शन” संविधान के संघीय ढांचे और बुनियादी संरचना का उल्लंघन करता है।
- लोकतांत्रिक अधिकारों पर खतरा:
- क्षेत्रीय दलों और छोटे राज्यों की राजनीतिक स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- विभिन्न राज्यों की विविध जरूरतें और उनकी राजनीतिक प्राथमिकताएँ प्रभावित हो सकती हैं।
- संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप:
- क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय, राष्ट्रीय राजनीति का दबदबा बढ़ सकता है।
समिति का उद्देश्य:
- संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश विधि (संशोधन) विधेयक का अध्ययन करना।
- इसके कार्यान्वयन से संबंधित विधायी, संवैधानिक, और प्रशासनिक पहलुओं पर विचार करना।
- “वन नेशन, वन इलेक्शन” की व्यवहारिकता और संभावित चुनौतियों का विश्लेषण।
आगे की राह:
- आगे की बैठकें:
- जेपीसी की आगामी बैठकों में विशेषज्ञों, प्रशासनिक अधिकारियों और चुनाव आयोग से विचार-विमर्श किया जाएगा।
- संसदीय रिपोर्ट:
- समिति अपनी रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत करेगी, जो विधेयक के भविष्य का निर्धारण करेगी।
- विपक्ष और सरकार के बीच टकराव:
- विधेयक को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच विवाद बढ़ सकता है, जिससे इसकी स्वीकृति और कार्यान्वयन चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
“वन नेशन, वन इलेक्शन” भारत के चुनावी ढांचे में बड़ा बदलाव ला सकता है, लेकिन यह संवैधानिक और व्यावहारिक दृष्टि से एक जटिल मुद्दा है। समिति की आगे की बैठकों और उसकी सिफारिशों से इस पर स्पष्टता आएगी।