पुर्तगाली शासन के दौरान गोवा में 1000 से अधिक मंदिर ध्वस्त किए गए थे। पुरातत्व विभाग के एक्सपर्ट पैनल ने इन मंदिरों के बारे में जानकारी इकट्ठा की है। यह जानकारी राज्य के पुरालेख एवं पुरातत्व मंत्री सुभाष पाल देसाई ने दी है। उन्होंने बताया है कि पैनल ने ध्वस्त किए गए इन मंदिरों की जगह एक स्मारक बनाने की सिफारिश सरकार से की है। उनका मानना है कि इन सारे मंदिरों को फिर से बनाना संभव नहीं है।
पुर्तगाली शासन के दौरान नष्ट किए गए मंदिरों की पहचान और पुनर्निर्माण के लिए संभावित स्थलों की पहचान के लिए आवेदनों और दावों का आकलन करने के लिए इसी साल जनवरी में राज्य सरकार समिति बनाई गई थी। गोवा सरकार ने इसके लिए 20 करोड़ रुपए का बजट रखा था। इस बजट का प्रावधान गोवा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) ने नष्ट किए गए हिंदू मंदिरों और विरासत स्थलों के जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण के लिए किया था।
गोवा के सीएम प्रमोद सावंत ने 6 जून 2023 में कहा था कि पुर्तगालियों ने अपने शासनकाल के दौरान राज्य में कई मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था। पुर्तगालियों ने 1510 से 1961 तक गोवा पर शासन किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, पुरातत्व विभाग के एक्सपर्ट पैनल ने 10 पन्नों की शुरुआती रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। इससे पता चला है कि अधिकतर मंदिर गोवा के तिसवाड़ी, बारदेज और सैलसेट तालुका में ध्वस्त किए गए थे। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “समिति का काम इन साइटों की पहचान करना है। समिति को अब तक 19 आवेदन मिले हैं। कई मंदिरों को ध्वस्त कर दिया गया था। समिति ने पाया कि इतने सारे मंदिरों का पुनर्निर्माण करना संभव या व्यावहारिक नहीं है। भूमि अधिग्रहण भी एक चुनौती होगी। इसलिए पैनल ने सिफारिश की है कि सरकार एक स्मारक मंदिर का निर्माण करे।”
गोवा के पुरातत्व विभाग की गठित इस समिति ने अन्य स्थलों पर भी आगे की खोज और खुदाई का सुझाव दिया है। दिवेर द्वीप पर सप्तकोटेश्वर मंदिर के पुनर्निर्माण की सिफारिश की है। यह मंदिर कदंब राजवंश के दौरान द्वीप पर बनाया गया था और 16वीं शताब्दी में पुर्तगालियों ने इसे ध्वस्त कर दिया था।
अधिकारी ने आगे बताया, “दिवेर द्वीप में भूमि पहले से ही सरकार के अधीन है। यह एक संरक्षित स्थल है। इसलिए समिति को वहाँ मंदिर का पुनर्निर्माण करने की संभावना दिखती है। अन्य स्थलों पर, जहाँ यह पाया गया कि मंदिर की नींव या स्तंभ के अवशेष हैं, पैनल ने ऐसे स्थलों की सुरक्षा करने और आगे की जाँच करने की सिफारिश की है।”
उन्होंने आगे कहा, “राज्य के अन्य हिस्से जैसे पोंडा और क्वेपेम उस वक्त मराठा शासन के अधीन थे और कई देवताओं और मूर्तियों को तिसवाड़ी से बिचोलिम तालुका और सैलसेट से पोंडा स्थानांतरित कर दिया गया था।” अधिकारी ने बताया, “समिति (तोड़े गए मंदिरों की) किसी निश्चित संख्या तक नहीं पहुँची है। यह (एक हजार) के करीब है।”