पत्रिका ‘कारवाँ’ ने रविवार (13 अगस्त, 2023) को मेवात की नूँह हिंसा पर एक ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ प्रकाशित की। यह रिपोर्ट ‘कारवाँ’ के पत्रकार प्रभजीत सिंह द्वारा तैयार की गई है, जिसका शीर्षक ‘नूँह के गाँवों में रात को छापेमारी और मुस्लिम युवाओं की सामूहिक गिरफ्तारियों के बाद डर का माहौल’ दिया गया है। रिपोर्ट में 31 जुलाई को हुई जलाभिषेक यात्रा के दौरान नूँह और आसपास भड़की हिंसा की वजह बताने का प्रयास किया गया है।
जैसा कि इसका इतिहास रहा है, पुलवामा हमले में बलिदान CRPF जवानों की जाति बताने वाली इस वामपंथी विचारधारा की प्रचारक पत्रिका ने नूँह हिंसा का भी दोष हिंदुओं पर मढ़ दिया। प्रभजीत सिंह नूँह हिंसा के बाद के हालातों को समझने के लिए ग्राउंड पर गए थे। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में मुस्लिम समुदाय को पीड़ित दिखाने की पूरी कोशिश की। प्रभजीत के मुताबिक, हिंसा के बाद पुलिस ने सिर्फ मुस्लिमों पर FIR दर्ज किए हैं जिसकी वजह से नूँह गाँव मर्दों से खाली हो चुका है। अपनी रिपोर्ट में सिंह ने जनहस्तक्षेप समूह के कार्यकर्ताओं का हवाला भी दिया जिसमें पुलिस द्वारा मुस्लिमों पर एकतरफा अत्याचार कर आरोप लगाया गया है।
इस रिपोर्ट में आगे विस्तार से बताया गया है कि कैसे पुलिस मुस्लिमों को बिना वजह बताए उनके घरों से उठा रही है जबकि हिन्दुओं की तरफ से सिर्फ एक गिरफ्तारी हुई है। आगे 57 FIR का जिक्र करते हुए उसमें 220 गिरफ्तार लोगों में से अधिकांश को मुस्लिम बताया गया है। यह हास्यास्पद के साथ दुखद भी है कि ‘कारवाँ’ को यह आशा थी कि पुलिस उन हिन्दुओं पर FIR करेगी जिनका कोई दोष नहीं है। वास्तविकता यह है कि जिन लोगों ने हमला किया, हमले के लिए उकसाया वो चाहे किसी भी धर्म के हों, उनकी जाँच हरियाणा पुलिस कर रही है।
प्रभजीत ने हिन्दुओं पर हुए इस हमले को साम्प्रदायिक संघर्ष के तौर पर दिखाने का प्रयास किया। उन्होंने मुस्लिमों से ‘बजरंग दल’ और ‘विश्व हिन्दू परिषद’ कार्यकर्ताओं के बारे में बात की। वह अपनी रिपोर्ट से न सिर्फ हिन्दुओं को हमलावर बल्कि मुस्लिमों को पीड़ित के तौर पर चित्रित करना चाहते थे। नूँह के टौरू रोड निवासी रफीक मोहम्मद के हवाले से ‘कारवाँ’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2021 में VHP द्वारा शुरू की गई यात्रा का मकसद हिंसा भड़काना था।
‘कारवाँ’ की इसी रिपोर्ट में आगे मोनू मानेसर पर यात्रा में शामिल होने का वीडियो बना कर मुस्लिमों को भड़काने का आरोप लगाया गया है। हालाँकि, वो इस यात्रा में शामिल नहीं हुए थे फिर भी उन्हें इस्लामवादियों ने बलि का बकरा बनाया और मुस्लिमों को भड़काने दोष मढ़ा। जबकि उनका वीडियो साल 2022 के अक्टूबर माह का था जिसे भ्रामक तौर पर नए वीडियो के तौर पर वायरल किया गया। बताते चलें कि इस साल फरवरी में राजस्थान पुलिस ने 2 गौ तस्करों की हत्या की FIR दर्ज की थी।
इन सभी के अलावा ‘कारवाँ’ का कहना है कि हिंदुओं ने नूँह के मुस्लिम बहुल इलाकों में तलवारें ले कर भड़काऊ नारे लगाते हुए रैली निकाली जिस से दोनों पक्षों में झड़प हुई। साथ ही इस रिपोर्ट में हिंदुओं द्वारा पलवल, गुरुग्राम, सोहना और अन्य आसपास के इलाकों में कई मस्जिदों पर हमले का भी दावा किया गया है। हालाँकि, ऑपइंडिया को अभी तक एक भी ऐसी FIR नहीं मिली है जिसमें नूँह हिंसा के लिए हिंदुओं को दोषी ठहराया गया हो।
दरअसल, ‘कारवाँ’ की रिपोर्ट अपने अजीब तथ्यों और तर्कों से पाठकों की आँखों में धूल झोंकने का एक प्रयास है। ये सीधे-सीधे वामपंथी विचारधारा से प्रेरित है जहाँ वो हिंसक मुस्लिम भीड़ को बचाने के लिए हिंसा का दोष उन हिन्दुओं पर मढ़ रहे हैं जो असल में पीड़ित हैं। ऐसी चालाकियाँ अक्सर वामपंथियों द्वारा अपनाई जाती रहीं हैं। यहाँ तक कि जीवित रहने के लिए आत्मरक्षा और हमलावरों को उनकी ही भाषा में जवाब देने पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिये जाते हैं।
हिंसा के बाद से अब तक दर्ज सभी FIR में भक्तों के साथ पुलिस ने भी बताया है कि कैसे नल्हड सहित आसपास के मंदिरों में जा रहे लोगों पर हमला हुआ। हमलावरों द्वारा अल्लाह-हू-अकबर के साथ पाकिस्तान जिंदाबाद के भी नारे लगाए गए। दंगाइयों ने न सिर्फ मंदिर बल्कि अस्पताल से लौट रही महिला एसीजेएम और उनकी बेटी पर भी हमला किया। पुलिस के वाहनों के साथ हिन्दुओं की दुकानों को भी आग के हवाले कर दिया गया। कई FIR में महिला पुलिस बल पर भी हमले का जिक्र है। लेकिन ‘कारवाँ’ की रिपोर्ट में इन सभी अत्याचारों के बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया है।
‘कारवाँ’ की इसी रिपोर्ट में अभिषेक की हत्या की वजह भी नहीं बताई गई। प्रभजीत सिंह को यह जानना जरूरी है कि अभिषेक और उनके भाई महेश नल्हड शिव मंदिर के आसपास के पहाड़ों से पुलिस और भक्तों पर गोली चला रहे दंगाइयों से खुद को बचाने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान अभिषेक को गोली लगी और वह जमीन पर गिर गए। पीछे से आ रहे दंगाइयों में से एक ने तलवार से अभिषेक का गला काट दिया। अन्य दंगाइयों ने अभिषेक के सिर पर पत्थर मारे। अभिषेक ने अस्पताल पहुँचने से पहले ही दम तोड़ दिया था।
अभिषेक के अलावा ‘कारवाँ’ की रिपोर्ट में अल्लाह हु अकबर चिल्लाती भीड़ द्वारा 2 होमगार्डों की भी हत्या को नजरअंदाज किया गया। FIR से पता चला कि दंगाइयों ने पत्थरों से पहले पुलिस का रास्ता रोका फिर लाठी-डंडों, पत्थरों और अवैध हथियारों से उन पर हमला कर दिया। यदि हमला विहिप और बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने किया तो मुस्लिम भीड़ के पास ये सब कैसे आ गया ? कारवाँ को यह भी बताना होगा कि कि श्रद्धालुओं और पुलिसकर्मियों पर हमला करने के लिए मुस्लिम भीड़ को अवैध हथियार, कई टन पत्थर, सैकड़ों लाठियां-डंडे कहाँ से मिले।
वामपंथी संस्थान यह भी नहीं बता पाया कि कैसे नूँह के वार्ड नंबर-9 में एक समुदाय विशेष के दंगाइयों ने 35 से 40 भक्तों को बंधक बना लिया था जिन्हें मुक्त कराने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इस रिपोर्ट में यह भी नहीं बताया गया कि दंगाइयों ने भाजपा नेता शिवकुमार की तेल मिल को कैसे जला कर 1.5 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान किया। इतनी वारदातें तो किसी पहाड़ की छोटी सी चोटी भर के समान हैं। हालाँकि इसके बावजूद अपने एजेंडे में फिट न होने के चलते कारवाँ इन घटनाओं को रिपोर्ट में शामिल नहीं करेगा।