प्रदीप शर्मा बजरंग दल के कार्यकर्ता थे। परिजनों के अनुसार यही जुड़ाव उनकी हत्या की वजह बनी। बेटे की मौत के बाद से माँ का दिमाग स्थिर नहीं है। जो भी मिलता है उससे पूछती हैं- मेरे प्रदीप को देखा क्या। प्रदीप की ही हत्या में आम आदमी पार्टी (AAP) का नेता जावेद अहमद नामजद है।
उत्तर प्रदेश के बागपत के रहने वाले प्रदीप की हत्या हरियाणा के गुरुग्राम जिले के सोहना कस्बे के पास हुई थी। वे मेवात के नूहं से निकलने वाली बृजमंडल जलाभिषेक यात्रा में शामिल होने गए थे। 31 जुलाई 2023 को यात्रा में शामिल हिंदुओं पर मुस्लिम भीड़ ने हमला कर दिया था। प्रदीप नूहं के नल्हड़ मंदिर से बच निकले थे, लेकिन मंदिर से करीब 30 किलोमीटर दूर उनकी हत्या कर दी गई।
प्रदीप के भाई के हवाले से बताया है कि बजरंग दल का सदस्य होने के कारण हत्या की गई। कथित तौर पर प्रदीप को मारने के लिए हमलावर अस्पताल में भी घुस गए थे। उनकी पट्टियाँ नोच दी थी।
छोटे भाई हैपी ने बताया कि सोहना के पास दंगाइयों ने हमला किया। घायल प्रदीप को एक स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया। डॉक्टरों ने मरहम-पट्टी की। तभी भीड़ की शक्ल में कुछ लोग अस्पताल में घुस गए। प्रदीप को गालियाँ दी और उनकी पट्टियाँ नोच दी। इसके बाद उन्हें एंबुलेंस से गुरुग्राम ले जाया गया। भाई के अनुसार इस समय तक प्रदीप ठीक थे।
हैपी के मुताबिक प्रदीप को ले जा रही एम्बुलेंस को भीड़ ने रोक दिया। उन्हें बाहर निकालकर सड़क पर फेंक दिया। घायल अवस्था में प्रदीप काफी देर तक सड़क पर ही पड़े रहे। बाद में उन्हें पुलिस सड़क से उठा कर गुरुग्राम के एक अस्पताल में ले गई। हालत बिगड़ने के बाद फिर उन्हें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया।
हैपी ने बताया है कि सफदरजंग में एडमिट होने तक प्रदीप की हालत काफी खराब हो चुकी थी। उनका सिर से काफी खून बह चुका था। आखिरकार उनकी मौत हो गई। पीड़ित परिवार के मुताबिक अगर हिंसा के दिन प्रदीप को समय पर इलाज मिल गया होता तो वो जीवित होते।
माहौल खराब होने की आशंका में 3 अगस्त को प्रदीप का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गाँव उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित पांची में आनन-फानन में करवा दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार प्रदीप का अंतिम समय में मुँह भी उनकी माँ अंगूरी देवी नहीं देख पाई। अब कोई भी अजनबी उनके घर आता है तो पूछती हैं, “मेरे प्रदीप को देखा क्या? मेरा बेटा भूखा होगा, एक बार बात करवा दो। वह अब फोन नहीं करता, पूछता नहीं कि मां रोटी खाई कि नहीं।”
पीड़ित परिजनों ने प्रदीप को पूरी तरह धर्म के लिए समर्पित बताया। मसाला बेचकर परिवार पालने वाले उनके पिता चंद्रपाल भले ही बार-बार अपनी पत्नी अंगूरी देवी को सँभालते रहते हैं, लेकिन बेटे की चर्चा होते ही वे भी अपने आँसू नहीं रोक पाते हैं।