हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने का फैसला लिया है। सरकार का उद्देश्य इस वर्ग के जरूरतमंद और वंचित लोगों तक आरक्षण का लाभ पहुंचाना है। इसके लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में एससी-एसटी वर्ग में उपवर्गीकरण (सब-कैटेगराइजेशन) करने का निर्णय लिया गया। यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है, ताकि आरक्षण का लाभ वाकई जरूरतमंदों तक पहुंचे और इसका उचित वितरण सुनिश्चित हो सके।
क्या है उपवर्गीकरण?
उपवर्गीकरण का मतलब है कि आरक्षण के भीतर भी कोटा लागू किया जाएगा, ताकि एससी-एसटी वर्ग में विशेष रूप से वंचित या जरूरतमंद समूहों को इसका लाभ मिल सके। यानी आरक्षण को विभिन्न वर्गों में बांट दिया जाएगा, जिससे उन समुदायों तक यह पहुंचे जो वास्तव में इसकी जरूरत रखते हैं।
इस नई नीति में क्रीमी लेयर की पहचान के लिए भी प्रावधान किया जाएगा, जिससे उन लोगों को आरक्षण का लाभ न मिले, जो आर्थिक या सामाजिक रूप से पहले से सशक्त हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित किया गया है कि उपवर्गीकरण वाली जातियों को सौ प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यह साफ किया है कि वर्गीकरण तर्कसंगत सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए। प्रदेश में अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित है। इस नई व्यवस्था के तहत एससी-एसटी वर्ग में आरक्षण का अंदरूनी वितरण और अधिक न्यायसंगत किया जाएगा।
कैसे होगी नई नीति लागू?
कैबिनेट के फैसले को लागू करने के लिए पहले एक नीति का ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। इस ड्राफ्ट को विधानसभा में प्रस्तुत किया जाएगा, और जब इसे स्वीकृति मिल जाएगी, तभी आरक्षण के भीतर उपवर्गीकरण लागू किया जाएगा। हरियाणा में अनुसूचित जाति वर्ग में 36 जातियां और पिछड़ा वर्ग-ए में 71 तथा पिछड़ा वर्ग बी में 8 जातियां शामिल हैं।
क्रीमी लेयर की पहचान के लिए नई नीति
उपवर्गीकरण के अलावा, राज्य सरकार एससी-एसटी वर्ग में क्रीमी लेयर की पहचान के लिए भी एक नीति तैयार करेगी। क्रीमी लेयर का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिन लोगों की आय या स्थिति इस वर्ग में सामान्य है, उन्हें आरक्षण का लाभ न मिले, ताकि इसका लाभ जरूरतमंदों तक ही सीमित रहे।
हरियाणा में अनुसूचित जाति और जनजाति के अंतर्गत शामिल जातियां
अहेरिया, अहेरी, हेरी, डेरी, थोरी, तुरी, अद धर्मी, वाल्मीकि, बंगाली, बरार-बुरार-बेरार, बटवाल-बरवाला, बोरिया-बावरिया, बाजीगर, भांजरा, चनल, दागी, दरेन, देहा-धाया-धेइया, धानक, धोगरी-धांगरी-सिग्गी, डुमना- महाशा-डूम, गगरा, गंधीला-गंदील-गंदोला, कबीरपंथी-जुलाहा, खटीक, कोरी, कोली, मरीजा-मरेच, मजहबी-मजहबी सिख, मेघ-मेघवाल, नट-बदी, ओड, पासी, पेरना, फरेरा, संहाई, संहाल, सांसी-भेदकुट-मनेश, संसोई, सपेला-सपेरा, सरेरा, सिकलीगर-बरीया व सिरकीबंद
पिछड़ा वर्ग-ए और पिछड़ा वर्ग-बी के अंतर्गत आने वाली जातियां
पिछड़ा वर्ग-ए : गडरिया, पाल, बघेल, गढ़ी लोहार, हज्जाम, नई, नाइस, सेन, जांगड़ा-ब्राह्मण, खाती, सुथार, धीमान-ब्राह्मण, तरखान, बारा, हेंसी, हेसी, बगरिया, बरवाड़, बढ़ई, तंबोली, बरागी, बैरागी, स्वामी साध, बत्तेरा, भरभुंजा, भरभुजा, भट, भातरा, दरपी, रमिया, भुहलिया, लोहार, चंगार, चिरिमार, चांग, चिंबा, छिपी, चिंपा, दरजी, रोहिल्ला, दईया, धोबी, गोवाला, बरहाई, बद्दी, जोगीनाथ, जोगी, नाथ, योगी, कंजर या कंचन, कुर्मी, कुम्हार, प्रजापति, कंबोज, खंघेरा, कुछबंद, लबाना, लखेड़ा, मनिहार, कचेरा, लोहार, पांचाल-ब्राह्मण, मदारी, मोची, मिरासी, नर, नूंगार, नलबंद, पिंजा, पेनजा, रेहर, रेहरा या रे, रायगड़, राय सिख, रीचबंद, शोरगीर, शेरगिरो, सोई, सिंघिकांत, सिंगीवाला, सुनार, जरगर, सोनिक, ठठेरा, तमेरा, तेली, बंजारा, जुलाहा, रहबरी, चरण, चारज (महाब्राह्मण), रंगरेज, लिलगर, नीलगर, लल्लारिक, भर, राजभरी, नेट (मुस्लिम), जंगम, डकौत, धिमार, मल्लाह, कश्यप- राजपूत, कहार, झिवार, धिनवार, खेवत, मेहरा, निषाद, सक्का, भिस्ती, शेख-अब्बासी, धोसाली, दोसाली, फकीर, ग्वारिया, गौरिया या ग्वार, घिरथ, घासी, घसियारा या घोसी, गोरखास, बंजारा, ग्वाला।
पिछड़ा वर्ग बी : अहीर-यादव, गुर्जर, लोध-लोधा-लोधी, सैनी-शाक्य-कुश्वाहा-मौर्या-कोइरी, मेव, गोसाई- गोस्वामी-गोसैन, बिश्नोई। यह नई नीति हरियाणा सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आरक्षण के लाभ को सही तरीके से उन जरूरतमंदों तक पहुंचाने की दिशा में उठाया गया है, जिन्हें इसकी वास्तव में आवश्यकता है। इस उपवर्गीकरण से आरक्षण के भीतर न्यायसंगत वितरण हो सकेगा और एससी-एसटी वर्ग की वास्तविक वंचित जातियों को इसका लाभ मिलेगा।