क्या दावा है?
भारत में CMC वेल्लोर और ICMR के एक संयुक्त क्लिनिकल ट्रायल ‘Vell-CAR-T’ में CAR-T सेल थेरेपी से Acute Lymphoblastic Leukemia (ALL) और Large B-cell Lymphoma (LBCL) के मरीज़ों का इलाज किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- यह CAR-T (Chimeric Antigen Receptor T-cell) Therapy भारत में पहली बार अस्पताल के अंदर ही पूरी तरह तैयार की गई।
- 80% मरीज़ों में इलाज के 15 महीने बाद तक कैंसर वापस नहीं लौटा।
- थेरेपी को तैयार करने की प्रक्रिया लगभग 9 दिन में पूरी हुई, जिसमें मरीज़ के खुद के टी-सेल्स को जेनेटिकली मॉडिफाई करके कैंसर से लड़ने लायक बनाया गया।
क्या 9 दिनों में ब्लड कैंसर “पूरी तरह खत्म” हो जाता है?
“9 दिन” का मतलब यह नहीं है कि मरीज पूरी तरह ठीक हो गया, बल्कि यह वह समय-सीमा है जिसमें मरीज की T-Cells को लैब में मॉडिफाई करके CAR-T सेल्स में बदला गया और फिर वापस शरीर में डाला गया।
इसके बाद मरीज को निगरानी में रखा जाता है, और ट्रीटमेंट के परिणाम धीरे-धीरे दिखते हैं, खासकर जब बात कैंसर जैसी जटिल बीमारी की हो।
फॉलो-अप (जैसे 15 महीने बाद कैंसर का न लौटना) असली सफलता का संकेत है, जो स्टडी के सकारात्मक नतीजों को दिखाता है।
वैज्ञानिक रूप से यह क्यों महत्वपूर्ण है?
- भारत में पहली बार अस्पताल-आधारित स्वदेशी CAR-T थेरेपी बनी।
- यह तकनीक पहले विदेशों से करोड़ों रुपये में लाई जाती थी। अब यह सस्ती और घरेलू स्तर पर सुलभ हो रही है।
- इससे भारत का बायोथैरेपी और जीन थेरेपी में आत्मनिर्भर बनना शुरू हुआ है।
मिथक / दावा | हकीकत |
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9 दिन में कैंसर खत्म | गलत — 9 दिन में सिर्फ CAR-T सेल्स तैयार होते हैं |
थेरेपी एक बार में पूरी तरह सफल | सभी पर नहीं — 80% मरीज़ों में 15 महीने तक कोई कैंसर नहीं दिखा |
इलाज अब भारत में सस्ता और जल्दी संभव | सही — स्वदेशी उत्पादन से लागत घटी और समय बचा |