तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने कहा है कि चीन उनसे अलग-अलग तरीके से संपर्क साधने की कोशिश कर रहा है. उनका कहना है कि वो चीन के साथ बातचीत के लिए तैयार है. चीन को भी समझ में आ गया है कि तिब्बती लोगों की भावना कितनी मजबूत है. तिब्बती गुरू ने यह भी साफ किया कि पिछले कुछ वर्षों से तिब्बती लोग भी अपनी आजादी की मांग नहीं कर रहे हैं बल्कि चीन के भीतर रहकर अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं.
दलाई लामा ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में यह बात कही है. दलाई लामा के इस बयान को चीन के बढ़ते दबाव और अंतर्राष्ट्रीय जगत से अपेक्षाकृत सक्रिय समर्थन नहीं मिलने के परिणाम के तौर पर देखा जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जुलाई को तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के 88वें जन्मदिवस पर उनसे बात की थी एवं जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए दलाई लामा की लंबी उम्र की प्रार्थना की. गलवान मामले के बाद यह लगातार तीसरा साल है जब प्रधानमंत्री मोदी ने दलाई लामा को जन्मदिन पर बधाई संदेश दिया. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री भी दलाई लामा के जन्मदिन के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे.
"Chinese want to contact me": Dalai Lama says open to talks with China over Tibetan problems
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— ANI Digital (@ani_digital) July 8, 2023
वन चाइना पॉलिसी पर भारत के रूख में हुआ है बदलाव
तिब्बत पर भारत सरकार के रुख में भी पिछले कुछ सालों में बदलाव आया है. वर्ष 2014 के बाद से भारत के वन चाइना पॉलिसी पर सोची-समझी चुप्पी से चीन में खासी बेचैनी है. भारत अब चीन के उन दावों के समर्थन को नहीं दोहराता जिसके तहत ताइवान, तिब्बत या दूसरे विवादित इलाकों को चीन अपना हिस्सा बताता है. भारत-चीन के बीच 2020 के सीमा विवाद के बाद से भारत ने और अधिक आक्रामक रुख अपनाया है.
तिब्बत के अलावे ताइवान के साथ भी भारत के आपसी संबंधों में भी पिछले कुछ समय से तेजी देखने को मिली है. पिछले हफ्ते ताइवान ने भी दिल्ली और चेन्नई के बाद मुंबई में अपना नया राजनयिक दफ्तर (TECC) खोलने का ऐलान किया है ताकि दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को मजबूत किया जा सके.
चीन-तिब्बत संघर्ष का है लंबा इतिहास
तिब्बती लोगों का मानना है कि ऐतिहासिक तौर पर तिब्बत एक स्वतंत्र क्षेत्र रहा है. 1950 में चीन ने तिब्बत पर अपना नियंत्रण स्थापित करने के लिए आक्रमण कर दिया था. तिब्बती लोगों का संघर्ष तब से जारी है. 1959 में तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के भारत आने एवं हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से तिब्बत की निर्वासित सरकार अपनी स्वायत्ता की लड़ाई लड़ रही है. तिब्बत के लोगों के अहिंसक संघर्ष ने जहां पूरी दुनिया का ध्यान खींचने में कामयाबी हासिल की है वहीं तिब्बती क्षेत्र में चीनी सरकार की दमनपूर्वक कार्रवाई भी लगातार बढ़ती जा रही है.