सत्ता में आने के महीनों के भीतर हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार वित्तीय संकट का सामना कर रही है. राज्य के कम से कम 15,000 सरकारी कर्मचारी अपने मासिक वेतन का इंतजार कर रहे हैं, जो पहले महीने के पहले सप्ताह तक उनके खाते में जमा हो जाता था.
एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य परिवहन विभाग, मेडिकल कॉलेज, जल प्रबंधन, वन विभाग के हजारों सरकारी कर्मचारियों ने रिकॉर्ड पर स्वीकार किया है कि उन्हें 13 जून तक वेतन का भुगतान नहीं किया गया, जो हर महीने की पहली तारीख को मिल जाती थी. वेतन में देरी सरकारी कर्मचारियों के लिए चिंता का कारण बन रही है क्योंकि ऐसी खबरें आ रही हैं कि सरकार को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि कांग्रेस इस साल हिमाचल प्रदेश में मुफ्त और गारंटी के वादों पर सवार होकर सत्ता में आई और सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में सरकार बनाई.
रिपोर्टों से पता चलता है कि राज्य सरकार का खजाना 1,000 करोड़ रुपये के ओवरड्राफ्ट का सामना कर रहा है और उसने 800 करोड़ रुपये के ऋण के लिए भी आवेदन किया है. यह कर्ज मिलने के बाद भी सरकार के पास 200 करोड़ रुपये का ओवरड्राफ्ट होगा.
हजारों सरकारी कर्मचारियों को वेतन भुगतान में देरी के पीछे वित्तीय संकट स्पष्ट रूप से एक कारण है. इस वित्तीय संकट से सबसे अधिक प्रभावित हिमाचल सड़क परिवहन के कर्मचारी हैं. 15,000 कर्मचारियों में से लगभग 12 हजार कर्मचारी कथित तौर पर एचआरटीसी से संबंधित हैं.
सुक्खू सरकार को सत्ता में आए हुए 6 महीने से ज्यादा समय नहीं हुए हैं और ये संकट सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बनता दिख रहा है. बता दें कि राज्य सरकारपहले से ही 11,000 करोड़ रुपये के पिछले ऋण और उस पर होने वाले ब्याज से परेशान है. केंद्र ने हिमाचल की ऋण सीमा को 5% से घटाकर 3.5% कर दिया है, जिसका अर्थ है कि राज्य सरकार अपने सकल घरेलू उत्पाद का केवल 3.5% तक ऋण लेने में सक्षम होगी.