भारत में पाकिस्तान से बढ़ते तनाव और आतंकवाद के विरुद्ध आक्रामक नीति के बीच अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा निर्णायक कार्रवाई तेज़ कर दी गई है। हाल के हफ्तों में असम, दिल्ली और अंडमान-निकोबार में की गई कार्रवाइयाँ इस नीति की गंभीरता को दर्शाती हैं।
भारत में घुसपैठियों पर कार्रवाई: प्रमुख घटनाक्रम
असम – मटिया डिटेंशन कैंप से 102 घुसपैठियों की वापसी
- स्थान: मटिया डिटेंशन कैम्प, गोलपाड़ा (असम)
- कार्यवाही:
- 102 रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों को कैम्प से निकालकर त्रिपुरा के रास्ते बांग्लादेश भेजा गया।
- अब इस डिटेंशन सेंटर में सिर्फ 30-40 लोग बचे हैं, जिन पर मुकदमा चल रहा है।
🗣️ CM हिमंता बिस्वा सरमा:
“अब हम घुसपैठियों को बॉर्डर से ही खदेड़ेंगे। कानूनी दांवपेंच से बचने के लिए उन्हें देश में घुसने ही नहीं देंगे।”
अंडमान से समुद्र मार्ग से रोहिंग्याओं की वापसी
- तिथि: 7 मई, 2025
- रिपोर्ट: डेक्कन हेराल्ड
- घटना:
- दिल्ली पुलिस ने कथित तौर पर 40 रोहिंग्या घुसपैठियों को पकड़कर अंडमान भेजा।
- उन्हें समुद्र के रास्ते म्यांमार की ओर रवाना किया गया।
- इस कार्रवाई की अभी तक सरकारी पुष्टि नहीं हुई है।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट याचिका:
- याचिकाकर्ता: मोहम्मद इस्माइल
- आरोप: 43 रोहिंग्या को बायोमेट्रिक के बहाने उठाकर समुद्र में छोड़ा गया।
- सुनवाई की तिथि: 31 जुलाई, 2025
BSF ने सुंदरबन से 78 घुसपैठियों को निकाला
- स्थान: सुंदरबन जंगल, बंगाल सीमा
- कार्यवाही:
- BSF ने 78 बांग्लादेशी घुसपैठियों को सीमा पार छोड़ दिया।
- बाद में बांग्लादेशी सुरक्षा बलों ने उन्हें बरामद किया।
नीति में बदलाव: पहले और अब
पहले | अब |
---|---|
घुसपैठियों को हिरासत में लिया जाता था | बॉर्डर से ही वापस भेजने की नीति अपनाई गई |
मामला अदालत में जाता था | कानूनी प्रक्रिया से बचकर सीधा निर्वासन |
सालों तक डिटेंशन सेंटर में रखे जाते थे | अब तेजी से निर्वासन, डिटेंशन सेंटर खाली हो रहे |
कानूनी मोर्चा: सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
- रोहिंग्या समर्थकों ने मानवाधिकार हनन का आरोप लगाया है।
- केंद्र का तर्क: राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है, रोहिंग्या या बांग्लादेशी नागरिक भारत के नागरिक नहीं।
- सुप्रीम कोर्ट में 31 जुलाई को महत्वपूर्ण सुनवाई निर्धारित है, जो भारत की घुसपैठ नीति पर असर डाल सकती है।
निष्कर्ष:
भारत सरकार अब आक्रामक और स्पष्ट नीति पर काम कर रही है:
- घुसपैठ की रोकथाम प्राथमिकता बन चुकी है।
- कानूनी पेचीदगियों से बचने के लिए बॉर्डर से ही निष्कासन को प्राथमिकता दी जा रही है।
- यह कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा, जनसंख्या नियंत्रण और आतंकी खतरे को ध्यान में रखकर की जा रही है।