मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में बैंक के जनरल मैनेजर और हेड अकाउंटेंट हितेश मेहता को गिरफ्तार कर लिया है। जांच में सहयोग न करने के चलते पुलिस ने उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने की तैयारी शुरू कर दी है। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद पुलिस जल्द ही कोर्ट में आवेदन दायर करेगी।
कैसे हुआ 122 करोड़ का घोटाला?
पुलिस जांच में सामने आया कि जब बैंक की एक ब्रांच से दूसरी ब्रांच में पैसा ट्रांसफर किया जाता था, तो हितेश मेहता इस दौरान कैश चोरी कर अपने घर ले जाता था।
- प्रभादेवी ब्रांच से – ₹112 करोड़
- गोरेगांव ब्रांच से – ₹10 करोड़
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के एक्टिंग चीफ एकाउंटिंग ऑफिसर देवर्षि घोष ने बताया कि बैंक की दोनों शाखाओं में अलग-अलग तिजोरियां बनी हुई थीं, जहां कैश रखा जाता था। 12 फरवरी को हुई आरबीआई की जांच में प्रभादेवी ब्रांच में 112 करोड़ रुपये कम पाए गए, जिसके बाद गोरेगांव ब्रांच की जांच की गई और वहां भी पैसे गायब मिले।
डेवलपर धर्मेश पौन की भी हुई गिरफ्तारी
इस घोटाले में डेवलपर धर्मेश पौन की भी गिरफ्तारी हो चुकी है। जांच में पता चला कि धर्मेश ने गबन किए गए 122 करोड़ में से 70 करोड़ रुपये लिए थे।
- मई 2024 – ₹1.75 करोड़
- दिसंबर 2024 – ₹1.75 करोड़
- जनवरी 2025 – ₹50 लाख
लाई डिटेक्टर टेस्ट की तैयारी
हितेश मेहता जांच में सहयोग नहीं कर रहा है, और कैश ट्रांजैक्शन से जुड़ी जानकारी छिपा रहा है। ईओडब्ल्यू का मानना है कि घोटाले के पैसे कहां गए, इसका पता लगाने के लिए लाई डिटेक्टर टेस्ट जरूरी है। पुलिस लीगल टीम से चर्चा के बाद कोर्ट में अपील करेगी।
जांच जारी, और गिरफ्तारियां संभव
ईओडब्ल्यू को संदेह है कि इस घोटाले में अन्य बैंक अधिकारी और बाहरी लोग भी शामिल हो सकते हैं। इसलिए पुलिस सभी लेनदेन और संदेहास्पद ट्रांसफर की जांच कर रही है। जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।