भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव अपने चरम पर है, लेकिन इसके समानांतर भारत ने ईरान के साथ कूटनीतिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। नई दिल्ली में आयोजित 20वीं भारत-ईरान संयुक्त आयोग बैठक (Joint Commission Meeting – JCM) ने यह संकेत दिया कि भारत अपनी रणनीतिक विदेश नीति को संतुलित रूप से आगे बढ़ा रहा है — एक ओर आक्रामक रक्षा रणनीति, तो दूसरी ओर रचनात्मक कूटनीति।
नेतृत्व और उद्देश्य:
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सह-अध्यक्षता: विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची
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उद्देश्य: व्यापार, कनेक्टिविटी, कृषि, स्वास्थ्य, संस्कृति और आपसी हितों पर सहयोग को गहराना।
Co-chaired the 20th India-Iran JCM along with FM @araghchi of Iran today in Delhi.
Did a comprehensive review of our bilateral cooperation and agreed on next steps in many domains. Will be marking the 75th anniversary of our diplomatic relations in an appropriate manner.
Also… pic.twitter.com/O7L9qJagg6
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 8, 2025
मुख्य चर्चाएं और सहमति के बिंदु:
✅ आतंकवाद की निंदा:
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भारत ने पहलगाम हमले में पाकिस्तान की भूमिका की जानकारी साझा की।
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दोनों देशों ने सीमापार आतंकवाद की कड़ी निंदा की।
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क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने पर बल।
✅ व्यापार और विनियमन:
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चिकित्सा उत्पाद विनियमन और सीमा शुल्क सहयोग पर सहमति।
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द्विपक्षीय व्यापार को सरल और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम।
✅ मानवीय मुद्दे:
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कैदी, मछुआरे, नाविक और छात्र – इनसे जुड़े मुद्दों को मानवीय आधार पर हल करने पर सहमति।
✅ सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के संबंध:
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शैक्षिक, सांस्कृतिक, और पर्यटन सहयोग को बढ़ावा देने की चर्चा।
महत्वपूर्ण मुलाकातें:
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अब्बास अराघची ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की मुलाकात।
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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से की रणनीतिक चर्चा।
रणनीतिक महत्व:
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ऐसे समय में जब पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसे हालात हैं, ईरान के साथ गहरी होती साझेदारी यह दर्शाती है कि भारत पश्चिम एशिया में स्थिरता, कनेक्टिविटी और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है।
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चाबहार पोर्ट, INSTC (International North-South Transport Corridor) और क्षेत्रीय संपर्क को लेकर भी यह बैठक अहम रही।