गुजरात के वडनगर में ईसा से 800 साल पहले के मानवों के रहने के सबूत मिले हैं। वडनगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गृहनगर है। सामने आया है कि यहाँ आज से 2800 साल पहले भी मानव रहा करते थे। यह शोध भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), फिजिकल रिसर्च लेबोरेट्री (PRL) ने किया है। इसकी कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं।
शोधकर्ताओ ने बताया है कि यहाँ की बसावट में सात सांस्कृतिक चरण होने की जानकारी मिली है। डॉ आनिन्द्य चक्रबर्ती ने मीडिया को बताया कि यहाँ 2016 से खुदाई चल रही है, अब तक उनकी टीम 20 मीटर की खुदाई कर चुकी है। चक्रबर्ती IIT खड़गपुर में भूगर्भ विज्ञान के प्रोफ़ेसर हैं।
#WATCH | Gujarat: Remains of a 2800-year-old settlement found in PM Narendra Modi's village, Vadnagar. pic.twitter.com/Fefjt7Dn9Z
— ANI (@ANI) January 16, 2024
वडनगर में मिली इस मानव बस्ती के विषय में एक विज्ञान पत्रिका में जानकारी दी गई है। शोधकर्ताओ ने बताया है कि यहाँ मौर्यकाल, इंडो-ग्रीक, शक-क्षत्रप, हिन्दू सोलंकी, सुल्तानी-मुग़ल और गायकवाड-ब्रिटिश कल के साथ ही आज के समय तक मानव रह रहे हैं। यहाँ एक बुद्ध मठ भी मिला है। शोधकर्ताओं ने बताया है कि इसी खुदाई के साथ ही वडनगर भारत की सबसे पुरानी बसावट बन गई है जो आज भी उसी तरह बसी हुई है। यहाँ से सोना, चाँदी, लोहा और ताम्बे की वस्तुओं के भी अवशेष मिले हैं।
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि यहाँ मिले अवशेषों की कार्बन डेटिंग से पता चला है कि यह 3400 वर्ष पुराने तक हो सकते हैं। अगर यह बात पूरी तरह से सिद्ध हो जाती है तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि भारत में बीते 5000 सालों से सभ्यता लगातार चली आ रही है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह बात सिद्ध हो जाने से कथित ‘डार्क एज‘ का दावा भी तोड़ा जा सकेगा। भारतीय इतिहास में सिन्धु घाटी सभ्यता के पतन और महाजनपद काल के उदय के बीच को डार्क एज बताया जाता है। इस काल में भारतीय भूभाग में क्या हुआ इसकी जानकारी काफी कम मिलती है।
शोधकर्ताओं ने बताया है कि भारत पिछले 2200 वर्षों में अनेकों बाह्य आक्रमण झेलता आया है। वडनगर में हुई खुदाई में इसके भी सबूत मिलते हैं। बताया गया है कि यहाँ पर 1 लाख से अधिक अवशेष प्राप्त हुए हैं और 30 से अधिक स्थानों पर खुदाई हुई है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जन्म वडनगर में ही हुआ था। यहाँ वह बचपन में अपने पिता के साथ स्टेशन पर चाय बेचा करते थे। वडनगर प्रधानमंत्री के बचपन के समय काफी छोटा क़स्बा हुआ करता था, हालाँकि अब यह एक शहर बन गया है।
1400 ईस पूर्व पुरानी बस्ती
आईआईटी खड़गपुर के भूविज्ञानी अनिंद्य सरकार ने कहा कि रेडियोकार्बन के संकेत मिलता है कि यह बस्ती 1400 ईसा पूर्व जितनी पुरानी हो सकती है. यह उत्तर-नगरीय हड़प्पा काल के अंतिम चरण के समकालीन है. यह भारत में पिछले 5,000 सालों की सांस्कृतिक निरंतरता को दर्शाता है.
एक लाख से ज्यादा मिले अवशेष
इस बीच पुरातत्व विभाग के इंस्पेक्टर मुकेश ठाकोर ने बताया कि अब तक एक लाख से ज्यादा अवशेष मिल चुके हैं. अच्छी जल प्रबंधन प्रणाली और जल स्तर के कारण यह एक जीवंत शहर था. उन्होंने आगे कहा कि वडनगर में अब तक करीब 30 स्थलों की खुदाई की जा चुकी है. बौद्ध, जैन और हिंदू सहित विभिन्न धर्मों के लोग यहां सद्भाव से रहते थे.
बता दें कि यहां आईआईटी खड़गपुर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) और डेक्कन कॉलेज के शोधकर्ता मिलकर काम कर रहे हैं.