विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज कहा कि सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ “कुछ प्रगति” हुई है. उन्होंने कहा कि, विवाद से जुड़ी करीब 75 प्रतिशत समस्याओं का समाधान हो गया है. द्विपक्षीय बैठकों के लिए स्विट्जरलैंड के जिनेवा में मौजूद एस जयशंकर ने ग्लोबल सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी में यह बात कही.
भारत और चीन के बीच संबंध असहजता के सबसे निचले स्तर पर हैं. मई 2020 में लद्दाख में गतिरोध शुरू होने के बाद से दोनों देशों की सेनाएं अपनी जमीन पर डटी हुई हैं. दोनों देशों के बीच विवाद फरवरी 2021 में शुरू हुआ और तब से चल रहा है.
एस जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ संबंधों में दूरी से जुड़ी करीब 75 फीसदी समस्याओं का समाधान हो चुका है. जयशंकर अपनी स्विटजरलैंड यात्रा के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मिलने वाले हैं. भारत और चीन के बीच कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर बातचीत लगातार जारी है.
जुलाई 2020 में गलवान, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा से आंशिक रूप से सैनिकों की वापसी हुई, जबकि फरवरी 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सैनिकों की पूरी तरह वापसी हुई. हालांकि, चीनी सैनिक पूर्वोत्तर लद्दाख के देपसांग मैदानों में मजबूती से जमे हुए हैं और उनके आगे बढ़ने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं.
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की लंबाई लगभग 3,500 किलोमीटर है. इसमें तिब्बत भी शामिल है, जिस पर चीन का कब्जा है.
जयशंकर ने महात्मा गांधी को दी श्रद्धांजलि
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को जिनेवा में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करके स्विट्जरलैंड की अपनी दो दिन की यात्रा शुरू की. जयशंकर तीन देशों की यात्रा के अंतिम चरण में जर्मनी से जिनेवा पहुंचे हैं. जर्मनी से पहले वे सऊदी अरब भी गए थे.
Started my visit to Geneva by paying homage to Mahatma Gandhi.
In a world of polarisation and conflict, Bapu's message of harmony and sustainability is more relevant than ever. pic.twitter.com/BCoV350Y0q
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) September 12, 2024
जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करके जिनेवा की अपनी यात्रा की शुरुआत की. ध्रुवीकरण और टकराव की इस दुनिया में, बापू (महात्मा गांधी) का सद्भाव और शांति का संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है.”
स्विटजरलैंड के जिनेवा शहर में बड़ी संख्या में संयुक्त राष्ट्र निकायों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के दफ्तर स्थित हैं. अपनी यात्रा के दौरान जयशंकर उन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे जिनके साथ भारत सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है. वे स्विट्जरलैंड के विदेश मंत्री से भी मिलेंगे.
भारत-चीन के असहज संबंध
लद्दाख में सैन्य झड़पों और उसके बाद के गतिरोध के बाद से फिलहाल भारत और चीन के बीच रिश्तों में खटास लगातार बनी हुई है. पिछले कुछ दशकों से दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध भी असंतुलित रहे हैं. व्यापारिक संबंधों के बारे में एस जयशंकर ने कहा, चीन के साथ आर्थिक संबंध “बहुत अनुचित” और “असंतुलित” रहे हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने चीन के साथ व्यापार के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं किए हैं.
दो दिन पहले जर्मनी की अपनी यात्रा के दौरान एस जयशंकर ने कहा था कि भारत के “चीन से व्यापार के लिए रास्ते बंद नहीं हैं, लेकिन मुद्दा यह है कि देश किन क्षेत्रों और शर्तों पर बीजिंग के साथ व्यापार करता है. जयशंकर ने कहा था, “हमने चीन से व्यापार बंद नहीं किया है…मुझे लगता है कि मुद्दा यह है कि आप किन क्षेत्रों में व्यापार करते हैं और किन शर्तों पर व्यापार करते हैं? यह काले और सफेद द्विपक्षीय उत्तर से कहीं अधिक जटिल है.”
चीनी निवेश का रास्ता खोलने का समर्थन
लद्दाख के गतिरोध के बाद से भारत ने चीनी कंपनियों के निवेश की जांच कड़ी कर दी है और इन्फ्रास्ट्रक्चर सहित सभी प्रमुख प्रोजेक्टों को रोक दिया है. लेकिन जैसे-जैसे चीन के साथ एलएसी पर सैनिकों की वापसी की दिशा में प्रगति हो रही है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित सरकार के अधिकारियों ने देश में और अधिक चीनी निवेश की इजाजत देने के सुझावों का समर्थन किया है.
निवेश की जांच के साथ-साथ भारत ने साल 2020 से सभी चीनी नागरिकों के लिए वीजा पर भी रोक लगा दी है. हालांकि अब चीनी तकनीशियनों के लिए इसे आसान बनाने पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि इससे अरबों डॉलर के निवेश में बाधा आई.
लद्दाख गतिरोध के बाद से भारत और चीन के बीच यात्री उड़ानें भी बंद हो गई थीं, लेकिन सैनिकों की वापसी की दिशा में धीमी प्रगति के साथ अब उड़ानों को फिर से शुरू करने पर चर्चा की जा रही है.