कतर में 8 भारतीय नौसैनिकों को मौत की सजा दिए जाने के मामले में बड़ी सफलता हासिल हुई है. इस मामले में भारतीय राजदूत को कॉन्सुलर एक्सेस (राजनयिक पहुंच) मिला है. यह एक संवेदन शील मुद्दा है. भारतीय राजनयिक ने इन लोगों से मुलाकात की है और उन्हें केस की जानकारी दी है. मामले में दो बार सुनवाई हो चुकी है, अगली सुनवाई जल्द होगी.
पीएम मोदी की दुबई यात्रा में हुई थी कतर के अमीर से मुलाकात
सामने आया है कि पीएम मोदी जब दुबई पहुंचे थे तो यहां यूएन क्लाइमेट समिट से अलग उनकी मुलाकात कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल-थानी से भी मुलाकात हुई थी. इस दौरान दोनों में अच्छी बात हुई थी. इसी मुलाकात के दौरान 8 पूर्व नौसैनिकों की सजा के मामले पर भी बात हुई थी, जिसके बाद अब राजनयिक एक्सेस मिलने की बात कही जा रही है.
विदेश मंत्रालय ने कही ये बात
विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि, हम इस मामले में बारीकी से नजर रख रहे हैं. सभी कानूनी और कांसुलर सहायता प्रदान की जा रही है. इस बीच, हमारे राजदूत ने जेल में उन सभी 8 लोगों से मुलाकात की थी.
बीते साल गिरफ्तार किए गए थे 8 पूर्व भारतीय नौसैनिक
बता दें कि, पिछले साल कतर में गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को 27 अक्टूबर, 2023 को कतर की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. बीते महीने सामने आया कि कतर कोर्ट ने मौत की सजा पाए पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों की अपील स्वीकार कर ली है और जल्द ही इस मामले की अगली सुनवाई की जाएगी. यह अपील भारत सरकार द्वारा दायर की गई थी.
कतर की कोर्ट ने नवंबर में स्वीकार की थी अपील
कतर की एक अदालत ने 23 नवंबर को अपील दस्तावेज स्वीकार कर लिया था.सूत्रों के मुताबिक, कोर्ट अपील का अध्ययन कर रही है और अगली सुनवाई जल्द होने की उम्मीद है. भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपनी आखिरी साप्ताहिक ब्रीफिंग में कहा था कि भारत ने फैसले के खिलाफ “पहले ही अपील दायर कर दी है”
ऐसे सामने आया था मामला
पिछले साल 25 अक्टूबर को मीतू भार्गव नाम की महिला ने ट्वीट कर बताया था कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसर 57 दिन से कतर की राजधानी दोहा में गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में हैं. मीतू भार्गव कमांडर पूर्णेंदु तिवारी की बहन हैं. इन अफसरों पर कथित तौर पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप है. कतर की न्यूज वेबसाइट अल-जजीरा के रिपोर्ट के मुताबिक, इन अफसरों पर कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़ी जानकारियां इजरायल को देने का आरोप है.
कतर में कर क्या रहे थे ये अफसर?
नौसेना से रिटायर्ड ये सभी अफसर दोहा स्थित अल-दहरा कंपनी में काम करते थे. ये कंपनी टेक्नोलॉजी और कंसल्टेसी सर्विस प्रोवाइड करती थी. साथ ही कतर की नौसेना को ट्रेनिंग और सामान भी मुहैया कराती थी. इस कंपनी को ओमान की वायुसेना से रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमीस अल आजमी चलाते थे. पिछले साल उन्हें भी इन भारतीयों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था. हालांकि, नवंबर में उन्हें रिहा कर दिया गया था. ये कंपनी इस साल 31 मई को बंद हो गई है. इस कंपनी में लगभग 75 भारतीय नागरिक काम करते थे, जिनमें ज्यादातर नौसेना के पूर्व अफसर थे. कंपनी बंद होने के बाद इन सभी भारतीयों को नौकरी से निकाल दिया गया