कांग्रेस पार्टी में एक चिट्ठी ने ऐसा घमासान मचाया है कि यूपी से लेकर दिल्ली तक खलबली मची हुई है। यूपी कांग्रेस के भीतर नेताओं की “नाक की लड़ाई” खुलकर सामने आ गई है। 31 मई को कांग्रेस संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल द्वारा जारी की गई चिट्ठी ने पूरे विवाद को जन्म दिया, जिसमें मनोज यादव को फिर से यूपी कांग्रेस OBC मोर्चा का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इससे पहले, इसी साल 27 फरवरी को OBC मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय सिंह यादव ने प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और अध्यक्ष अजय राय की सलाह से मनोज यादव को हटा दिया था। लेकिन अब उनकी वापसी ने अजय राय के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, क्योंकि यह फैसला उनकी मर्जी के खिलाफ लिया गया है।
पार्टी के भीतर यह संदेश गया है कि अजय राय की संगठन में पकड़ कमजोर हो रही है और उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। अजय राय ने पार्टी कार्यालय जाना छोड़ दिया है और उनके समर्थकों में नाराजगी है। सोशल मीडिया पर मनोज यादव की एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें वह टेबल पर जूता रखकर बैठे हैं, जिससे स्थिति और भी संवेदनशील हो गई है।
सूत्रों के मुताबिक, इस फैसले के पीछे कांग्रेस OBC विभाग के अध्यक्ष अनिल जयहिंद का हाथ है, जो शरद यादव के करीबी रह चुके हैं और अब राहुल गांधी व प्रियंका गांधी के नजदीकी माने जाते हैं। अजय राय अब सवाल उठा रहे हैं कि जब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है, तो फिर टीम के चयन का अधिकार भी उन्हीं के पास होना चाहिए। इस पूरे विवाद ने कांग्रेस की उस रणनीति पर भी पानी फेर दिया है, जिसमें वह उत्तर प्रदेश में भाजपा को चुनौती देने की बात कर रही थी। फिलहाल कांग्रेस इस “नाक की लड़ाई” में उलझी है और देखने वाली बात यह होगी कि इसमें बाजी किसके हाथ लगती है—अजय राय के नेतृत्व की स्वीकृति या हाईकमान के करीबी नेताओं की पसंद।