प्रलय मिसाइल भारतीय सेना की सामरिक शक्ति को एक नई धार देने वाली अत्याधुनिक क्वाज़ी-बैलिस्टिक मिसाइल है। यह मिसाइल ऐसे समय में चर्चा में है जब भारत को दो मोर्चों—चीन और पाकिस्तान—से लगातार खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
यहाँ बताया गया है कि प्रलय मिसाइल क्यों खास है और इसका सैन्य महत्व क्या है:
प्रलय मिसाइल की प्रमुख विशेषताएँ:
- मारक क्षमता:
- 150 से 500 किलोमीटर तक
- 1000 किलोग्राम तक का वारहेड ले जाने में सक्षम
- उड़ान विशेषता:
- क्वाज़ी-बैलिस्टिक है, यानी पारंपरिक बैलिस्टिक के मुकाबले ज़्यादा मैन्युवरेबल
- बीच उड़ान में दिशा बदल सकती है, जिससे रडार को चकमा देना आसान होता है
- निशाने की सटीकता:
- कमांड सेंटर्स, हथियार डिपो और एयरबेस जैसे अहम सैन्य ठिकानों को बेहद सटीकता से मार गिरा सकती है
- रात में हमला करने की क्षमता:
- थर्मल और इंफ्रारेड तकनीक से लैस
- रात में भी सटीक हमला कर सकती है
- मोबाइल लॉन्चर से लैस:
- ट्रक पर रखकर कहीं भी तैनात की जा सकती है
- इससे इसकी रणनीतिक लोकेशन बदलना आसान होता है
- भारतीय मिसाइलों से तकनीकी सामंजस्य:
- प्रहार, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3 की तकनीक पर आधारित
सैन्य रणनीति में भूमिका:
- न्यूक्लियर विकल्प से पहले का प्रहार:
प्रलय मिसाइल गैर-परमाणु जवाबी हमले के लिए एक बड़ा हथियार है। इससे भारत की ‘नो फर्स्ट यूज़’ नीति भी बनी रहती है। - अर्टिलरी सिस्टम में समावेश:
सेना इसे अपनी तोपखाना यूनिट्स में शामिल करेगी, जिससे यह सीमा के भीतर से गहराई तक मार कर सकेगी। - चीन और पाकिस्तान दोनों के खिलाफ उपयोगी:
- चीन: इसकी तुलना चीन की डॉन्ग फेंग-12 से होती है
- पाकिस्तान: कम दूरी की सटीक मिसाइल होने से यह एलओसी के पार सैन्य ठिकानों को प्रभावित कर सकती है
वर्तमान स्थिति और योजनाएँ:
- अब तक सेना और वायुसेना ने कुल 370 मिसाइलों का ऑर्डर दिया है
- 2025 की गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार सार्वजनिक प्रदर्शन हुआ
- भविष्य में तैनाती उत्तर और पश्चिम सीमाओं पर की जाएगी
प्रलय मिसाइल भारतीय सेना के लिए एक “गेम चेंजर” साबित हो सकती है। यह न केवल युद्ध के पहले चरण में दुश्मन को चौंकाने की क्षमता रखती है, बल्कि भारतीय रक्षा सिद्धांत में संतुलन भी बनाए रखती है—तेज़ प्रहार, बिना परमाणु हथियार के।