उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहते, जब किसी को ॐ कैलाश के दर्शन के साथ में नंदी के भी दर्शन हो जाएं तो वह सहसा कह उठेंगे, असंभव! अद्भुत! अकल्पनीय! कुछ ऐसे ही पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण के भी भाव थे जब अनाम, अनारोहित शिखर की चढ़ाई के लिए आचार्य श्रीकंठ पर्वत व हर्षिल हॉर्न पीक-2 के मध्य में स्थित हिमशिखर पहुंचे, जिनकी ऊंचाई लगभग 17500 फुट होगी। वे उसे अपलक निहारते रह गए। वहां साक्षात ॐ के दर्शन हो रहे थे। वहां ॐ शिखर की आकृति के साथ ही साक्षात कैलाश के भी दर्शन हो रहे थे जिससे अनाम, अनारोहित हिमशिखर के चढ़ाई की आचार्य जी की उत्कंठा, ऊर्जा और उत्साह से कई गुना भर गई। इतना ही नहीं उनके आश्चर्य की तब सीमा ही नहीं रही जब उसके सम्मुख नंदी की आकृति का हिमशिखर भी साक्षात विद्यमान दिखाई दिया जिसकी ऊंचाई लगभग 16500 फुट थी।
पतंजलि परिवार को है गर्व
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIMS) के प्रिंसिपल कर्नल भदौरिया और पतंजलि की टीम के साथ आचार्य ने यह तय किया कि दो अलग-अलग दल ॐ पर्वत और नंदी पर्वत की चढ़ाई करेंगे। पतंजलि परिवार को गर्व है कि आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पंतजलि ने न केवल सफलतापूर्वक अनाम, अनारोहित दो हिमशिखरों की चढ़ाई की बल्कि प्रभु कृपा से उन्हें देवात्म हिमालय में साक्षात कैलाश व नंदी के दर्शन एक साथ करने का सौभाग्य भी मिला। इसलिए आचार्य जी ने अनाम अनारोहत शिखरों के नाम कैलाश शिखर व नंदी शिखर रखा।
आचार्य बालकृष्ण ने क्या कहा?
इस अवसर पर आचार्य जी ने कहा कि यह हमारे उत्तराखंड की देवभूमि व देव संस्कृति को विश्वव्यापी बनाने में एक मील का पत्थर साबित होगा और लोगों की आध्यात्मिक चेतना जागृति के लिए नया मार्ग प्रशस्त करेगा।
पर्वतारोहण की टीम में मुख्य रूप से आचार्य जी के साथ डॉक्टर राजेश मिश्र, डॉक्टर भास्कर जोशी, सूरज और लोकेश पंवार थे। वहीं, नेहरू पर्वतारोहण की ओर से कर्नल भदौरिया, सौरव रौतेला, गिरीश रणकोटी, रविंद्र सिंह, गोविंद राम, अनूप पंवार आदि सम्मिलित रहे।