उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में खाने वाली दुकानों के बाहर मालिक का नाम लिखे जाने का मामला अभी शांत नहीं हुआ कि जयपुर नगर निगम द्वारा भी एक आदेश जारी करने की बात सामने आई है। आदेश में नगर निगम ने कहा है कि हर मीट की दुकान के बाहर स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि दुकान में हलाल मीट मिलता है या फिर झटका।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार निगम ने अपने आदेश में खुले में मीट बेचने पर भी प्रतिबंध लगाया है। इसके अलावा ये भी साफ कहा है कि शहर में मीट की दुकानों के लिए लाइसेंस लेना होगा और केवल कमर्शियल जमीन पर ही मीट की दुकानें खोली जा सकेंगी। जो इस आदेश का पालन नहीं करेगा उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंध में महापौर सौम्या गुर्जर ने भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि जयपुर में 150 वार्ड हैं, मैं कई बार लोगों के बीच गई हूँ, इस दौरान लोगों ने इस संबंध में शिकायत की थी। बताया गया था कि कैसे दुकानों पर गंदगी होती है। अब एग्जीक्यूटिव कमेटी ने फैसला लिया है कि जहाँ लोग रहते हैं, उसके आसपास मीट की मंडी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मीट की दुकानों का लाइसेंस नगर निगम उन्हीं को देगा, जिसके पास दुकान का कमर्शियल पट्टा होगा। इसके अलावा महापौर ने काँवड़ यात्रा मार्गों की पवित्रता का भी ध्यान रखते हुए काँवड़ियों के रास्ते में और शिव मंदिर के निकट खुले में मीट बिक्री पर रोक लगाने की बात कही।
जो लोग अपने नाम और धर्म को छिपाकर अलग नाम से धंधा करते हैं उन लोगों के लिए महापौर ने कहा कि इंटरनेट मीडिया से जानकारी मिली है कि सियाराम नाम से कंपनी चलाने वाले तीन मालिक मुस्लिम हैं। ऐसे में पता चलना चाहिए कि कोई हिंदू देवी-देवताओं के नाम से गलत काम तो नहीं कर रहा है।
बता दें कि पिछले दिनों उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में काँवड़ यात्रा के मद्देनजर सरकारों ने आदेश जारी किया था कि था दुकानदारों को अपना नाम सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करना होगा। इसके बाद कई तस्वीरें सामने आई जिसमें दुकानदारों ने ऐसा किया भी हुआ था। हालाँकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर इस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी।