उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में अवैध मकतबों और मदरसों की गतिविधियों और उनकी फंडिंग को लेकर इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने विस्तृत जाँच शुरू कर दी है। इस प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश पुलिस की आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) की भी मदद ली जा रही है। यह कदम राज्य में अवैध संस्थानों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने और आतंकी फंडिंग जैसे संभावित खतरों को रोकने के लिए उठाया गया है।
मुख्य बिंदु:
- जाँच का कारण:
- इन मकतबों और मदरसों को आवश्यक मान्यता प्राप्त नहीं है, जिससे उनकी वैधता और गतिविधियों पर सवाल उठे हैं।
- इन संस्थानों को मिलने वाली विदेशी या अन्य स्रोतों से फंडिंग का पता लगाने और इसके उपयोग की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जाँच की जा रही है।
- IB और ATS की भूमिका:
- इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB):
- संस्थानों की गतिविधियों, उनकी पृष्ठभूमि, और फंडिंग स्रोतों की जाँच कर रही है।
- इसके अलावा, इन संस्थानों के संभवतः संदिग्ध संपर्कों का भी विश्लेषण किया जा रहा है।
- ATS:
- इन मकतबों और मदरसों के संचालकों, छात्रों, और उनसे जुड़े लोगों की पृष्ठभूमि की गहन छानबीन कर रही है।
- आतंकवादी या गैर-कानूनी गतिविधियों से जुड़े संभावित लिंक की तलाश कर रही है।
- इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB):
- पड़ताल के बिंदु:
- फंडिंग के स्रोत:
- इन संस्थानों को किस प्रकार से फंडिंग मिल रही है—चाहे वह विदेशी फंडिंग हो या देश के भीतर किसी अन्य स्रोत से।
- शैक्षणिक गतिविधियाँ:
- यहाँ पढ़ने और पढ़ाने वाले लोगों का विवरण।
- शिक्षा के नाम पर कहीं कट्टरपंथी विचारधारा तो नहीं फैलाई जा रही है।
- मान्यता का अभाव:
- बिना मान्यता के चल रहे संस्थानों की वैधता और उनके संचालन का कानूनी आधार।
- फंडिंग के स्रोत:
- पृष्ठभूमि:
- उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले भी राज्य में अवैध मदरसों के संचालन पर कार्रवाई की है।
- सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि राज्य में केवल कानूनी मान्यता प्राप्त और पारदर्शी संस्थान ही कार्यरत हों।
जिले में 286 मकतब और अवैध तौर पर चल रहे 19 मदरसे रडार पर हैं। इस क्रम में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी गोंडा के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग पहुँचे। यहाँ उन्होंने मौजूद अधिकारी से राज्य में चल रहे 286 मकतबों और बिना मान्यता के संचालित 19 मदरसों की लिस्ट ली। अब खुफ़िया विभाग इन मकतबों और मदरसों में मिलने वाले पैसों के स्रोत जानने में जुटा हुआ है। इसे चलाने वालों से यह भी पूछा जाएगा कि उन्होंने संचालन के लिए सरकारी मान्यता क्यों नहीं ली।
बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस की ATS विंग पहले से ही इस दिशा में जाँच कर रही थी। अब इसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो के भी शामिल होने से जाँच में तेजी आने और कई नए खुलासों की संभावना है। इन टीमों को शासन द्वारा जरूरी दिशा निर्देश भी मिले हैं। जाँच के बाद रिपोर्ट शासन को प्रेषित की जाएगी। शासन प्राप्त बिंदुओं के आधार पर आगे की कार्रवाई तय करेगा। गोंडा जिले के जिला समाज कल्याण अधिकारी रमेश चंद्र को भी शासन ने जाँच में सहयोग का निर्देश दिया है।
गोंडा जिले में मकतबों और मदरसों की जाँच को लेकर प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए संबंधित दस्तावेज जाँच एजेंसियों को सौंप दिए हैं। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रमेश चंद्र ने मीडिया को जानकारी दी कि इन संस्थानों के संचालकों को निर्देश दिए गए हैं कि वे जाँच में पूरा सहयोग करें।
प्रशासन की कार्रवाई और पूछताछ के बिंदु:
- दस्तावेज सौंपे गए:
- जिला प्रशासन ने जाँच एजेंसियों (IB और ATS) को मकतबों और मदरसों से जुड़े सभी जरूरी दस्तावेज सौंप दिए हैं।
- इसमें इन संस्थानों के पंजीकरण, फंडिंग, और संचालन से जुड़े रिकॉर्ड शामिल हैं।
- संचालकों से पूछताछ:
- मकतब और मदरसों के संचालन से जुड़े निम्नलिखित प्रश्नों पर पूछताछ हो रही है:
- ये संस्थान कब शुरू हुए और कैसे संचालित किए जा रहे हैं?
- इन संस्थानों को फंडिंग कहाँ से और कैसे मिल रही है?
- संचालन में स्थानीय लोगों और अन्य संगठनों की भूमिका क्या है?
- मकतब और मदरसों के संचालन से जुड़े निम्नलिखित प्रश्नों पर पूछताछ हो रही है:
- फंडिंग की जाँच:
- इन संस्थानों को चंदा देने वालों की सूची बनाई जा रही है।
- चंदा देने वाले व्यक्तियों और संगठनों से बाद में पूछताछ की जाएगी, विशेष रूप से उनकी मंशा और स्रोतों की वैधता सुनिश्चित करने के लिए।
- छात्रों का डेटा जुटाया जा रहा है:
- मकतबों और मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों का आंकड़ा तैयार किया जा रहा है।
- यह देखा जा रहा है कि छात्र स्थानीय निवासी हैं या अन्य राज्यों या देशों से आए हैं।