चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और सूरज की ओर बढ़ने के बाद इसरो ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा हुआ है. पिछले 11 दिन में इसरो ने ये दो इतिहास रचे हैं, आने वाले समय में भी ऐसे ही कई मिशन के लिए हिन्दुस्तान तैयार है. शनिवार को श्रीहरिकोटा से आदित्य एल-1 की सफल लॉन्चिंग के बाद इसरो के हौसले बुलंद हैं. अब भारत की नज़र अगले मिशन पर है, जिसका मकसद अंतरिक्ष का अध्ययन करना है. ISRO का नया मिशन एक्सपोसैट होने वाला है.
XPoSat यानी एक्स रे पोलारिमीटर सैटेलाइट भारत का पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन है जो मुश्किल हालात में भी चमकीले खगोलीय एक्सरे स्रोतों के विभिन्न आयामों का अध्ययन करेगा. इसके लिए पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष यान भेजा जाएगा, जिसमें दो वैज्ञानिक अध्ययन उपकरण (पेलोड) लगे होंगे.
ISRO के मुताबिक, इसके दो पेलोड POLIX और XSPECT होंगे. इसमें POLIX का काम खगोलीय मूल के 8-30 KV फोटॉन की मध्यम एक्स-रे ऊर्जा रेंज में पोलारिमेट्री मापदंडों को मापना है.जबकि एक्सस्पेक्ट पेलोड 0.8-15 केवी की ऊर्जा रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक के बारे में बताएगा. ये मिशन लॉन्चिंग के लिए तैयार है, हालांकि अभी लॉन्चिंग डेट का ऐलान नहीं किया गया है.
XPoSat मिशन से क्या होगा?
ISRO की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ब्लैकहोल, न्यूट्रॉन तारे, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, पल्सर पवन निहारिका जैसे खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन तंत्र जटिल भौतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न होता है और इसे समझना चुनौतीपूर्ण है. पोलारिमेट्री माप दो और आयाम को जोड़ेंगे, ध्रुवीकरण की डिग्री और ध्रुवीकरण का कोण और इस प्रकार यह खगोलीय स्रोतों से उत्सर्जन प्रक्रियाओं को समझने का एक बेहतरीन तरीका है. यानी इस मिशन का मुख्य मकसद अंतरिक्ष के बारे में अधिक जानकारी हासिल करना है.