भारत के चंद्रयान-3 मिशन की चर्चा पूरे विश्व में हो रही है। यह चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन है, जो चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने से चूक गया था। वहीं, यह दुनिया का पहला मिशन है जिसमें किसी यान को साउथ पोल पर लैंड कराया जाना है।
वैज्ञानिकों की मानें तो लॉन्च के एक महीने के अंदर चंद्रयान-3 चांद की कक्षा में प्रवेश कर जाएगा। अगर इस बार ये सॉफ्ट लैंडिंग में सफल होता है, तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा, जिसने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
- भारत के चंद्रयान-3 मिशन की चर्चा पूरे विश्व में हो रही है
- इसरो चंद्रयान-3 को साउथ पोल पर लैंड करवाने वाला है
- सॉफ्ट-लैंडिंग का मतलब है कि यान बिना किसी नुकसान के चंद्रमा की सतह पर उतर जाए
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
Mission Readiness Review is completed.
The board has authorised the launch.
The countdown begins tomorrow.
The launch can be viewed LIVE onhttps://t.co/5wOj8aimkHhttps://t.co/zugXQAY0c0https://t.co/u5b07tA9e5
DD National
from 14:00 Hrs. IST…
— ISRO (@isro) July 12, 2023
साउथ पोल पर लैंड कराने वाला पहला मिशन
इसरो चंद्रयान-3 को साउथ पोल पर लैंड करवाने वाला है। इससे पहले किसी भी देश ने साउथ पोल पर अपने यान को लैंड कराने की हिम्मत नहीं की। यहां तक कि चीन का चांग ई-4 यान, जो चंद्रमा के दूर वाले हिस्से पर उतरने वाला पहला अंतरिक्ष यान बन गया था, वो भी 45 डिग्री अक्षांश के पास उतरा था। वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की उम्मीद है। अगर यह मिशन सफल होता है, तो ये दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट-लैंड करने वाला दुनिया का पहला मिशन बन जाएगा।
क्या है डार्क साइड ऑफ द मून?
चंद्रमा पृथ्वी की तरह गोलाकार है और नीचे से हम इसका केवल एक पक्ष ही देखते हैं। कहा जाता है कि किसी ने भी तथाकथित डार्क साइड ऑफ द मून को नहीं देखा है। इस गोलार्ध को चंद्रमा का सुदूर भाग नाम दिया गया है, क्योंकि यह वास्तव में इतना अंधेरा नहीं है। अंधेरे शब्द का एक अन्य अर्थ अज्ञात, मतलब जिसे ढूंढा न जा सका भी होता है, क्योंकि हमारे इतिहास के अधिकांश भाग में मानव जाति के लिए दूर का भाग अंधकारमय था। चंद्रमा का दूर वाला हिस्सा उस तरफ से बहुत अलग है, जो हमारी आंखों के सामने दिखता है। चंद्रमा का दूर वाला भाग कहीं अधिक खुरदुरा और टेढ़ा-मेढ़ा है। इसकी सतह सघन रूप से प्रभाव वाले गड्ढों से भरी हुई है। सुदूर भाग का केवल 1% भाग ही अंधेरी संरचनाओं से ढका हुआ है। दूर की तरफ के गड्ढे भी काफी बड़े हैं।
सॉफ्ट लैंडिंग का क्या होता है मतलब?
सॉफ्ट-लैंडिंग का मतलब है कि यान बिना किसी नुकसान के चंद्रमा की सतह पर उतर जाए। आवश्यकता से अधिक स्पीड से उतरने के कारण चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने में फेल हो गया था।
जुलाई में पृथ्वी-चंद्रमा होते हैं करीब
जुलाई महीने में प्रक्षेपण करने का कारण ठीक चंद्रयान-2 मिशन (22 जुलाई, 2019) जैसा ही है क्योंकि साल के इस समय पृथ्वी और उसका उपग्रह चंद्रमा एक-दूसरे के बेहद करीब होते हैं।
शुक्रवार का मिशन भी चंद्रयान-2 की तर्ज पर होगा जहां वैज्ञानिक कई क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे। इनमें चंद्रमा की कक्षा पर पहुंचना, लैंडर का उपयोग कर चंद्रमा की सतह पर यान को सुरक्षित उतारना और लैंडर में से रोवर का बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह के बारे में अध्ययन करना शामिल है।
चंद्रयान-3 को लेकर फैट बॉय LVM3-M4 रॉकेट भरेगा उड़ान
देश के महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन अभियान के तहत चंद्रयान-3 को ‘ फैट बॉय’ LVM3-M4 रॉकेट ले जाएगा। चांद की सतह पर साफ्ट लैंडिंग अगस्त के आखिर में निर्धारित है।
वैज्ञानिक यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में घंटों कड़ी मेहनत करने के बाद चांद की सतह पर साफ्ट लैंडिंग तकनीक में महारत हासिल करने का लाक्ष्य साधे हुए हैं। यह मिशन भावी अन्तरग्रहीय मिशनों के लिए भी सहायक साबित हो सकता है।