भारतीय वायुसेना 20 जून 2025 को भारत-पाकिस्तान सीमा के पास और अरब सागर क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण हवाई अभ्यास करने जा रही है, जिसे सामरिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है। इसके लिए NOTAM (Notice to Airmen) पहले ही जारी किया जा चुका है, जिसमें बताया गया है कि यह अभ्यास सुबह 10:30 बजे से रात 12:30 बजे तक चलेगा। इस दौरान भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान (फाइटर जेट्स), परिवहन विमान और अन्य सैन्य विमान सक्रिय रूप से आसमान में दिखाई देंगे।
अभ्यास की खासियतें:
- यह अभ्यास रूटीन तैयारी का हिस्सा बताया जा रहा है, लेकिन इसके भूराजनैतिक संकेत भी काफी महत्वपूर्ण हैं।
- कराची एयरस्पेस और पाकिस्तान के दक्षिणी क्षेत्र तक इस अभ्यास की गूंज महसूस की जा सकती है।
- अभ्यास के समय नागरिक विमानों को वैकल्पिक रूट लेने की सलाह दी गई है ताकि उड़ान संचालन पर असर न पड़े।
सामरिक महत्व:
- ऐसे अभ्यास भारत की वायु सुरक्षा तैयारियों को जांचने, रखरखाव को मजबूत करने और रणनीतिक संकेत भेजने के लिए किए जाते हैं।
- यह ऐसे समय हो रहा है जब भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच अपने रक्षा क्षेत्र को मजबूत बना रहा है।
- खासकर पाकिस्तान और चीन की ओर से होने वाली गतिविधियों को देखते हुए Indian Air Force (IAF) की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं का परीक्षण भी इस दौरान किया जाएगा।
NOTAM क्या है?
NOTAM (Notice to Airmen) एक आधिकारिक सूचना है, जिसे डायरेक्ट टेलीकम्यूनिकेशन सिस्टम के जरिए पायलट्स, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) और अन्य विमानन अधिकारियों को भेजा जाता है। यह किसी क्षेत्र, हवाई अड्डे या एयरस्पेस में हुए तत्काल या अस्थायी बदलावों की जानकारी देता है।
NOTAM की विशेषताएं:
- इसका उद्देश्य हवाई यातायात की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
- इसमें यह बताया जाता है कि कोई रनवे बंद है, मौसम में बदलाव है, या कोई सैन्य अभ्यास हो रहा है।
- इसके जरिए पायलट्स को अपनी उड़ान योजना बदलने या अपडेट करने का निर्देश दिया जाता है।
हालिया घटनाक्रम:
- इससे पहले भी 4 जून को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान सीमा से सटे दक्षिणी क्षेत्र में एक अन्य सैन्य अभ्यास के लिए NOTAM जारी किया था।
- इन गतिविधियों से स्पष्ट है कि भारत निरंतर अपनी हवाई ताकत को परख रहा है और जरूरत के मुताबिक रणनीतिक लचीलापन विकसित कर रहा है।
इस अभ्यास को क्षेत्र में रणनीतिक दबाव बनाए रखने, संभावित खतरे के खिलाफ तैयारी, और भारतीय वायुसेना की तकनीकी दक्षता को मजबूत करने के एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
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