केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सर्विस बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा में कहा कि 2015 से पहले दिल्ली में बीजेपी और कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन कभी ऐसा झगड़ा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि दरअसल 2015 के बाद जो सरकार दिल्ली में सत्ता में आई उसका मकसद सेवा करना नहीं, बल्कि सिर्फ झगड़ा करना रहा। उन्होंने केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया कि वह विजिलेंस को कंट्रोल में लेकर बंगले के निर्माण में किए गए खर्च का सत्य छिपाना चाहती है।
दिल्ली को लेकर कानून बनाने का संसद को अधिकार
अमित शाह ने कहा कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है और संसद को पूरा अधिकार है कि वो दिल्ली को लेकर कानून बनाए। उन्होंने विपक्षी गठबंधन पर भी निशाना साधा और कहा कि ये लोग कितने भी गठबंधन बना लें लेकिन यह तो तय है कि गठबंधन के बाद भी पूर्ण बहुमत से नरेंद्र मोदी की ही सरकार बनेगी। अमित शाह ने विपक्षी दलों से कहा कि वे जनता के हितों की बलि नहीं चढ़ाएं।
मेरा सभी पक्ष से निवेदन है कि चुनाव जीतने के लिए किसी पक्ष का समर्थन या विरोध करना, ऐसी राजनीति नहीं करनी चाहिए। नया गठबंधन बनाने के अनेक प्रकार होते हैं। विधेयक और क़ानून देश की भलाई के लिए लाया जाता है इसलिए इसका विरोध और समर्थन दिल्ली की भलाई के लिए करना चाहिए: केंद्रीय गृह… pic.twitter.com/TImHNKoK4I
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 3, 2023
अमित शाह ने कहा कि पट्टाभि सीतारमैया समिति की दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की सिफारिश का पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजाजी (राजगोपालाचारी), डॉ राजेंद्र प्रसाद और डॉ भीमराव आंबेडकर ने विरोध किया था। शाह ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239 (एए) के तहत इस संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र से संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।