नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) द्वारा मणिपुर की एनडीए सरकार से समर्थन वापस लेने का निर्णय मणिपुर में हालिया हिंसा और राज्य सरकार की विफलता को लेकर गंभीर राजनीतिक संकेत देता है।
समर्थन वापसी के मुख्य कारण:
- हिंसा पर नियंत्रण में विफलता:
NPP प्रमुख कोनराड संगमा ने कहा कि मुख्यमंत्री बिरेन सिंह की अगुआई वाली सरकार मणिपुर में हिंसा को रोकने में पूरी तरह असफल रही है। - राजनीतिक निर्णय:
- NPP ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर समर्थन वापसी की सूचना दी।
- यह निर्णय मणिपुर की जमीनी स्थिति और हिंसा पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार की निष्क्रियता को लेकर बढ़ती आलोचना के बाद लिया गया है।
- NPP की स्थिति:
- मणिपुर विधानसभा में NPP के पास 7 विधायक हैं।
- पार्टी ने अभी तक एनडीए गठबंधन से पूरी तरह बाहर निकलने को लेकर स्पष्ट स्थिति नहीं जताई है।
NPP का राजनीतिक प्रभाव:
- NPP, पूर्वोत्तर भारत की एक मजबूत क्षेत्रीय पार्टी है और इसकी मौजूदगी विशेष रूप से मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में प्रभावशाली है।
- NPP प्रमुख और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा, पूर्वोत्तर में भाजपा के सहयोगी रहे हैं, लेकिन इस समर्थन वापसी का असर एनडीए के पूर्वोत्तर संबंधी रणनीति पर पड़ सकता है।
भाजपा के लिए चुनौतियाँ:
- मणिपुर में हिंसा की स्थिति:
- मणिपुर में जारी जातीय हिंसा और सुरक्षा की स्थिति भाजपा सरकार की बड़ी नाकामी के रूप में देखी जा रही है।
- NPP का समर्थन वापस लेना भाजपा की राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति को और कमजोर कर सकता है।
- एनडीए गठबंधन की स्थिरता:
- NPP द्वारा एनडीए गठबंधन में बने रहने या उससे बाहर निकलने पर निर्णय, भाजपा के लिए पूर्वोत्तर में नई राजनीतिक चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है।
NPP के समर्थन वापस लेने के बाद भी राज्य में NDA सरकार को कोई खतरा नहीं है। 60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में भाजपा अकेले ही बहुमत है। भाजपा के पास यहाँ 37 सीटें हैं और उसे 9 विधायकों का समर्थन भी हासिल है। हालाँकि, NPP का यह कदम स्थिति की गम्भीरता को दर्शाता है।
NPP (National People's Party) withdraws its support to the N. Biren Singh-led Government in Manipur with immediate effect. pic.twitter.com/iJ8VpPxWD2
— ANI (@ANI) November 17, 2024
NPP ने मणिपुर सरकार से समर्थन तब वापस लिया है जब पिछले एक सप्ताह में राज्य के भीतर भारी हिंसा हुई है। रविवार (17 नवम्बर, 2024) को भी असम में दो लाशें नदी में मिली हैं। यह लाशें मणिपुर से बह कर आई हैं। इनमें से एक लाश वृद्ध महिला जबकि दूसरी 2 साल के एक बच्चे की है।
बच्चे की लाश के साथ काफी बर्बरता की बात सामने आई है। इस लाश से उसका सर गायब था। यह हत्या और बर्बरता करने का आरोप कुकी लड़ाकों पर लगा है। कुकी लड़ाकों ने इस परिवार के कई लोगों को मणिपुर के जिरिबाम से अगवा किया था और उसके बाद हत्या कर दी।
इन सभी को कुकी लड़ाकों ने मणिपुर के बोरोबेकरा इलाके से एक राहत कैम्प से अगवा किया था। कुकी लड़ाकों ने यह कार्रवाई CRPF से हुई एक मुठभेड़ के दौरान की थी। उन्होंने वापस लौटते समय इन 6 लोगों को अगवा कर लिया था और बाद में मार दिया। इससे पहले CRPF के साथ हुई मुठभेड़ में 11 कुकी लड़ाके मारे गए थे।
Kudos to all who converged at the official residence of Indian Home Minister to protest against gruesome torture, rape & murder of 6 Meitei women and children by #KukiTerrorists
More than 200 Manipuris also got detained by Delhi policy today.
Long live Manipur. United We Stand. pic.twitter.com/st1eb4gTB1
— ManipurTruth (@manipur_truth) November 17, 2024
मारे गए लोग मैतेई समुदाय से थे। यह 6 लाशें मिलने के बाद राज्य में गुस्सा है। लाशें मिलने के बाद रविवार को मणिपुर के अलग-अलग हिस्सों में भारी हिंसा हुई। लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया। कई जगह तोड़फोड़ भी हुई। कई भाजपा विधायकों के घरों को भी निशाने पर लिया गया है।
कई MLA के घर में आगजनी और हमला किया गया। इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह के घर के बाहर मैतेई समुदाय ने रविवार (17 नवम्बर, 2024) को प्रदर्शन भी किया। उन्होंने 6 लोगों की हत्या के मामले में कार्रवाई की माँग की है।
गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को भी इस मामले में एक मीटिंग की थी। उन्होंने सोमवार को भी इस मसले पर उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि केंद्र सरकार और भी जवान मणिपुर भेजने पर विचार कर रही है।