पाकिस्तान सीमा से लगे गुजरात के गाँवों में जनसांख्यिकी तेजी से बदल रही है। कच्छ के रण में बसे गाँव हिन्दुओं से खाली हो रहे हैं। इन गाँवों में मुस्लिम परिवार लगातार रह रहे हैं। कई गाँव ऐसे हैं, जहाँ एक भी हिन्दू अब नहीं रहता। तमाम गाँवों से हिन्दू तेजी से पलायन कर रहे हैं। इससे सुरक्षा चिंताएँ भी पैदा हो गई हैं।
गुजरात के कच्छ जिले में पाकिस्तान सीमा से मात्र कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित 6 गाँव हिन्दूविहीन हो चुके हैं। यह बात इन गाँवों की वोटर लिस्ट से भी सामने आई है। 17 गाँव ऐसे हैं, जहाँ हिन्दू आबादी बहुत कम हो चुकी हैं। भास्कर ने यह रिपोर्ट 23 गाँव में की है।
रिपोर्ट के अनुसार, कच्छ में मोटा दिनारा गाँव में मात्र 1 ही हिन्दू परिवार अब रहता है। यहाँ पहले 30 हिन्दू परिवार रहा करते थे लेकिन धीमे-धीमे सारे ही पलायन कर चुके हैं। यह सारे परिवार एक 500 साल पुराने मंदिर के पास रहा करते थे। यह परिवार यहाँ से पलायन करके आसपास के उन गाँवों में गए हैं जहाँ पर मूलभूत सुविधाएँ अच्छी हैं।
यह परिवार तब वापस आते हैं मंदिर में कोई बड़ा कार्यक्रम होता है। इनमें से तमाम हिन्दू 2001 में आए भूकम्प के बाद विस्थापित हुए थे। उन्हें इस गाँव से दूर घर बनाकर दिया गया था। वह वहीं अब अपने जीवन की गुजर बसर करते हैं। जो घर इस भूकम्प में टूटे थे, उनकी भी कई लोगों ने कोई मरम्मत नहीं करवाई।
यहीं के शेह गाँव में मात्र 8 हिन्दू वोटर हैं। जबकि यहाँ मुस्लिम वोटर 152 हैं। यहाँ से अच्छी अस्पताल और स्कूल सुविधाएँ दूर हैं, इसके चलते परिवार बाहर गए हैं। अच्छा अस्पताल भी भुज में हैं। भुज यहाँ से 150 किलोमीटर दूर है। ऐसे में लोग पलायन को मजबूर हैं।
रिपोर्ट बताती है कि सुठारी गाँव में हिन्दुओं की आबादी कुछ वर्ष पहले तक 2500 हुआ करती थी, यह घट कर अब 1000 के आसपास आ चुकी है। गाँव से जहाँ हिन्दू बाहर गए हैं तो वहीं कुछ मुस्लिम बाहर से आकर बसने लगे हैं। लखपत और कनेर जैसे गाँवों से लोग सूरत और मुंबई काम करने जाने लगे हैं।
यहाँ के हिन्दू संगठन लगातार पलायन का मुद्दा उठा रहे हैं। हिन्दू संगठन इन इलाकों में ड्रग तस्करी और देशविरोधी गतिविधियाँ होते रहने का आरोप लगाते रहे हैं। कुछ लोगों का आरोप है कि मुस्लिमों ने गाँवों में सरकारी समेत तमाम जमीन भी कब्जाई है। इस संबंध में पीएम मोदी को पत्र भी लिखा जा चुका है।
हिन्दू संगठनों की माँग है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और यहाँ की जनसांख्यिकी को देखते हुए पलायन रोका जाना चाहिए।