भारतीय वायुसेना को मिलने वाली नई मिसाइल “गांडीव” देश की वायु शक्ति और रक्षा स्वायत्तता का एक बड़ी छलांग वाला प्रतीक बनकर उभर रही है। यह मिसाइल दरअसल एस्ट्रा Mk-III का एडवांस और लंबी दूरी तक मार करने वाला संस्करण है, जिसे DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने भारत में ही डिजाइन और विकसित किया है। इसका विकास ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत हुआ है, और यह आने वाले समय में भारतीय वायुसेना की Beyond Visual Range (BVR) युद्ध क्षमता को अभूतपूर्व तरीके से बढ़ाएगी।
🔶 गांडीव मिसाइल की खासियतें:
- मारक दूरी:
- अधिकतम: 300 से 350 किमी
- 20 किमी ऊंचाई से: 340 किमी तक
- 8 किमी ऊंचाई से: 190 किमी तक
- स्पीड:
- मैक 4.5 (आवाज़ की गति से 4.5 गुना तेज)
- इंजन टेक्नोलॉजी:
- रैमजेट इंजन – जो हवा से ऑक्सीजन खींचकर खुद को ऊर्जा देता है, जिससे फ्यूल एफिशिएंसी और रेंज दोनों बढ़ती है।
- मिशन लचीलापन:
- मिड-कोर्स करेक्शन और टारगेट के अनुसार दिशा बदलने की क्षमता
- स्टील्थ फाइटर, बमवर्षक और AEW&C जैसे हाई वैल्यू टारगेट्स को निशाना बना सकती है।
- फायरिंग प्लेटफॉर्म:
- सबसे पहले परीक्षण Su-30MKI से किया जाएगा।
- भविष्य में इसे तेजस, मिग-29, राफाल और AMCA जैसे आधुनिक फाइटर जेट्स पर तैनात किया जाएगा।
🔶 वर्तमान स्थिति:
- ओडिशा के बालासोर परीक्षण स्थल से हाल में जमीन से पहला सफल परीक्षण हुआ है।
- अब इसका अगला चरण है एरियल फायरिंग टेस्ट, जिसके लिए Su-30MKI पर कैप्टिव कैरिज ट्रायल्स (मिसाइल को विमान पर लगाकर उसकी सिस्टम इंटीग्रेशन जांच) जारी हैं।
🔶 रणनीतिक महत्त्व:
- यह मिसाइल चीन की PL-15 और पाकिस्तान की AIM-120 AMRAAM जैसी मिसाइलों से तकनीकी और रेंज के मामले में कहीं ज्यादा ताकतवर मानी जा रही है।
- इसके शामिल होने से भारत के पास स्वदेशी लॉन्ग रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल सिस्टम होगा, जो विदेशी विकल्पों पर निर्भरता को कम करेगा।
- यह भारत की नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर रणनीति को भी मजबूती देगा।
गांडीव मिसाइल सिर्फ एक हथियार नहीं, बल्कि भारतीय रक्षा तकनीक की स्वायत्तता, क्षमता और भविष्य की लड़ाइयों के लिए तैयारी का प्रतीक बन रही है। इसके सफल एरियल ट्रायल्स के बाद, भारतीय वायुसेना को दुनिया की सबसे उन्नत BVR एयर-टू-एयर मिसाइलों में से एक मिलने जा रही है, जिससे देश की वायु सीमाएं पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित और सशक्त होंगी।