देश दुनिया के इतिहास में 4 अगस्त की तारीख तमाम अहम वजह से दर्ज है, लेकिन आज के दिन साल 1956 में कुछ ऐसा हुआ था। जिसने इतिहास रच दिया था, दरअसल, भारत का पहला परमाणु अनुसंधान रिएक्टर ‘अप्सरा’ 4 अगस्त 1956 को शुरू हुआ था। जनवरी 1954 में होमी जहांगीर भाभा ने एटॉमिक एनर्जी इस्टैब्लिशमेंट ट्रॉम्बे (AEET) की स्थापना की थी। डॉ. भाभा भारत में एटॉमिक एनर्जी के क्षेत्र में रिसर्च को आगे बढ़ाना चाहते थे। जिसको लेकर एटॉमिक रिएक्टर की डिजाइनिंग और डेवलपमेंट पर काम कर रहे देशभर के तमाम इंजीनियर और वैज्ञानिकों को इस सेंटर में काम करने के लिए बुलाया गया। वो दिन 15 मार्च 1955 था, जब भारत के पहले न्यूक्लियर रिसर्च रिएक्टर को बनाने का फैसला लिया गया। इस पूरे प्रोग्राम के हेड डॉ. भाभा थे। फैसला लिया गया कि ये रिएक्टर एक स्विमिंग पूल की तरह होगा और इसकी क्षमता 1 मेगावॉट थर्मल होगी।
भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) के परिसर में ही रिसर्च रिएक्टर को बनाने का काम शुरू किया गया। एक बड़ी समस्या रिएक्टर के लिए न्यूक्लियर फ्यूल की सामने आ रही थी। जिसको लेकर ब्रिटेन से बात की गई। ब्रिटेन और भारत के बीच एक डील हुई जिसमें ये फैसला लिया गया कि रिएक्टर के लिए जरूरी यूरेनियम की आपूर्ति ब्रिटेन भारत को कराएगा। देशभर के तमाम वैज्ञानिकों ने दिन-रात मेहनत कर केवल 15 महीने में रिएक्टर का काम पूरा कर लिया। साल 1956 में आज ही के दिन इस रिएक्टर को शुरू किया गया। ये भारत के साथ ही पूरे एशिया का पहला न्यूक्लियर रिएक्टर था।
रिएक्टर का नाम ‘अप्सरा’ रखा गया। जिसके बाद अगले कई दशकों तक रिएक्टर का उपयोग एटॉमिक एनर्जी से जुड़ी रिसर्च करने में किया गया।