डीएमके सांसद कनिमोझी का बयान — “भारत की राष्ट्रीय भाषा है एकता और विविधता“ — न केवल भावनात्मक रूप से सशक्त था, बल्कि भारत की बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक पहचान को भी बेहद सुंदर ढंग से प्रस्तुत करता है। उन्होंने यह टिप्पणी स्पेन में एक कार्यक्रम के दौरान तब दी जब एक प्रवासी भारतीय ने उनसे पूछा कि भारत की राष्ट्रीय भाषा क्या होनी चाहिए और इस पर उनका रुख क्या है।
कनिमोझी का पूरा जवाब क्या था?
“भारत की राष्ट्रीय भाषा है — एकता और विविधता। यही सबसे जरूरी संदेश है जो आज दुनिया तक पहुंचाना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रवासी भारतीय, खासकर यूरोप में बसे भारतीय, भारत की विविधता और शांति का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
कनिमोझी के इस जवाब के बाद हॉल में तालियों की गूंज उठी, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उनका जवाब श्रोताओं के दिल को छू गया।
#WATCH | Madrid, Spain: While addressing the Indian diaspora, DMK MP Kanimozhi said, "The national language of India is unity and diversity. That is the message this delegation brings to the world, and that is the most important thing today…" pic.twitter.com/cVBrA99WK3
— ANI (@ANI) June 2, 2025
यह बयान क्यों महत्वपूर्ण है?
- राष्ट्रीय भाषा को लेकर राजनीतिक संदर्भ:
डीएमके लंबे समय से केंद्र सरकार की त्रिभाषा नीति (NEP 2020) का विरोध करती रही है। पार्टी का कहना है कि यह नीति गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश है। - अंतरराष्ट्रीय मंच पर संदेश:
कनिमोझी ने यह संदेश विदेश में प्रवासी भारतीयों और विदेशी श्रोताओं के सामने दिया, जिससे भारत की लोकतांत्रिक, बहुभाषी और समावेशी छवि मजबूत होती है। - ऑपरेशन सिंदूर के बाद की भूमिका:
कनिमोझी का यह बयान ऐसे समय आया है जब वह एक ऑल पार्टी डेलिगेशन का नेतृत्व कर रही हैं, जिसका मकसद पाकिस्तान की साजिशों को बेनकाब करना और भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति को वैश्विक समर्थन दिलाना है।
कनिमोझी के नेतृत्व में डेलिगेशन में कौन-कौन शामिल हैं?
नाम | पार्टी |
---|---|
कनिमोझी | डीएमके |
राजीव राय | समाजवादी पार्टी |
मियां अल्ताफ अहमद | नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) |
ब्रिजेश चौटा | भारतीय जनता पार्टी (BJP) |
प्रेम चंद गुप्ता | राष्ट्रीय जनता दल (RJD) |
अशोक कुमार मित्तल | आम आदमी पार्टी (AAP) |
मंजीव एस पुरी | पूर्व राजनयिक |
जावेद अशरफ | पूर्व राजनयिक |
कनिमोझी का जवाब भारत की संविधानिक भावना, संस्कृतिक विविधता, और लोकतांत्रिक मूल्यों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर जोरदार ढंग से प्रस्तुत करता है। यह बयान एक राजनीतिक संदेश भी है — कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है, न कि किसी एक भाषा या संस्कृति के वर्चस्व में।