क्या है ‘चिकन नेक’ (Chicken’s Neck)?
- यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर है—पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिलों के बीच स्थित 22-25 किमी चौड़ा संकरा भूभाग।
- यह भारत के पूर्वोत्तर के 7 राज्यों (Seven Sisters) और सिक्किम को देश की मुख्य भूमि से जोड़ने वाला एकमात्र स्थल और सामरिक जीवनरेखा है।
- इसकी आकृति मुर्गी की गर्दन जैसी होने के कारण इसे ‘चिकन नेक’ कहा जाता है।
भारत के लिए चिकन नेक का रणनीतिक महत्व
- सुरक्षा पहलू से:
- यह क्षेत्र अत्यंत संवेदनशील है क्योंकि अगर इस कॉरिडोर को बाधित किया जाए तो पूरा पूर्वोत्तर भारत कट सकता है।
- यह भारत-चीन सीमा पर सैनिकों और रसद भेजने का मुख्य मार्ग है, विशेषकर डोकलाम, अरुणाचल और सिक्किम में।
- चीन और पाकिस्तान की संयुक्त रणनीति (String of Pearls) इस इलाके की संवेदनशीलता को और बढ़ा देती है।
- आर्थिक पहलू से:
- पूर्वोत्तर भारत की चाय, तेल, गैस, और कृषि वस्तुओं का मुख्य सप्लाई रूट यही है।
- यह ट्रेड और टूरिज्म के लिए एकमात्र रास्ता है। सिलीगुड़ी एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है।
- भौगोलिक जोखिम:
- इसकी संकरी संरचना इसे भूस्खलन, बाढ़, और सैन्य हमलों के प्रति बेहद संवेदनशील बनाती है।
बांग्लादेश को हिमंता बिस्वा सरमा की चेतावनी का संदर्भ
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बांग्लादेश को स्पष्ट शब्दों में चेताया कि:
- बांग्लादेश में दो संकरे गलियारे हैं जो भारत के चिकन नेक से भी ज्यादा असुरक्षित हैं:
- उत्तरी बांग्लादेश कॉरिडोर (80 किमी) – दक्षण दिनाजपुर से गारो हिल्स तक
- चटगांव कॉरिडोर (28 किमी) – दक्षिण त्रिपुरा से बंगाल की खाड़ी तक
यदि भारत के चिकन नेक को लेकर बांग्लादेश या कोई अन्य देश रणनीतिक धमकी देता है, तो उसे ये भी समझना चाहिए कि बांग्लादेश के अंदर खुद ऐसे रणनीतिक कमजोर बिंदु मौजूद हैं।
मोहम्मद यूनुस का विवादित बयान और चीन का संदर्भ
- बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने चीन यात्रा के दौरान कहा कि:
- भारत के नॉर्थ ईस्ट राज्यों की समुद्र तक पहुंच नहीं है।
- बांग्लादेश ही एकमात्र समुद्री संरक्षक है और चीन को इसका फायदा उठाना चाहिए।
- यह बयान भारत के लिए रणनीतिक रूप से खतरनाक संकेत है क्योंकि इससे यह स्पष्ट होता है कि बांग्लादेश चीन के प्रभाव क्षेत्र में आने की इच्छा रखता है।
भारत की चिंताएं व जवाबी रणनीति
- भारत बांग्लादेश के ऐसे बयानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है।
- भारत ने न केवल राजनयिक प्रतिक्रिया दी है, बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी चेतावनी दी गई (जैसे हिमंता सरमा का बयान)।
- भारत अब:
- पूर्वोत्तर में सुरक्षा आधारभूत ढांचे को मजबूत कर रहा है।
- बांग्लादेश और म्यांमार की सीमाओं पर निगरानी बढ़ा रहा है।
- चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए ASEAN और जापान के साथ रणनीतिक जुड़ाव बढ़ा रहा है।
निष्कर्ष
- ‘चिकन नेक’ भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रीढ़ की हड्डी है।
- हिमंता सरमा का बयान रणनीतिक संतुलन की नीति का हिस्सा है, जिससे भारत यह संदेश दे रहा है कि यदि कोई भारत को अस्थिर करने की कोशिश करता है, तो उसकी खुद की संवेदनशीलताएं भी सामने लाई जा सकती हैं।
- भारत को चाहिए कि वह पूर्वोत्तर में विकास, कनेक्टिविटी, और सैन्य तैनाती को प्राथमिकता देता रहे, जिससे इस संवेदनशील गलियारे पर किसी भी खतरे का प्रभाव न्यूनतम हो।