दमोह के मिशन अस्पताल में डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम उर्फ नरेन्द्र यादव के खिलाफ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने एफआईआर दर्ज कराई है। दरअसल डॉक्टर ने इस अस्पताल में 15 मरीजों की हार्ट सर्जरी की थी जिसमें से 7 मरीजों की मौत हो गई। मामले की जाँच सीएमएचओ अशोक जैन की अगुवाई में डॉक्टर विशाल शुक्ला और डॉक्टर विक्रांत चौहान कर रहे हैं। ये दोनों जिला अस्पताल के डॉक्टर हैं। जाँच में सामने आया है कि मरीजों की मौत एन्जियोप्लास्टी के दौरान हुई। मृतक मरीजों में से 2 की पहचान अभी नहीं हो पाई है जबकि बाकी 5 मृतकों के परिजनों को पत्र लिख कर अस्पताल बुलाया गया है। जाँच की टीम इनसे बात करेगी। इनका बयान भी राष्ट्रीय मानवाधिकार की टीम दमोह सर्किट हाउस में दर्ज करेगी।
मिशन अस्पताल पहले भी विवादों में रहा है। अस्पताल पर मानव तस्करी और धर्मांतरण जैसे आरोप लगे हैं। इस मामले में दावा किया जा रहा है कि डॉक्टर नरेन्द्र जॉन केम यानी डॉक्टर नरेन्द्र यादव ने लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर एन जॉन केम के नाम से प्रैक्टिस की। वह मूल रूप से उत्तराखंड का रहनेवाला है। उसने 15 मरीजों के हार्ट का ऑपरेशन किया जिसमें से 7 मरीजों की मौत हो गई। पूछताछ शुरू होने से पहले ही डॉक्टर नरेन्द्र यादव फरार हो गया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने इस मामले को 4 अप्रैल 2025 को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ा।
Update !
कल सवेरे हमारी टीम दमोह जाँच के लिए पहुँच जाएगी,अभी सूत्रों ने बताया है कि आयोग की कार्रवाई से डर कर अभी आधी रात में CMHO दमोह कोतवाली में बैठकर FIR करवा रहे हैं ।
FIR के मजमून में सेंट्रल इंडिया क्रिस्चन मिशन द्वारा संचालित मिशनरी अस्पताल के संचालक और सर्वेसर्वा… https://t.co/NsPzFaHPot pic.twitter.com/7mY8wF9Rpk
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) April 6, 2025
हालाँकि दो महीने पहले सीएमएचओ ने इस मामले की शिकायत की थी। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दीपक तिवारी के मुताबिक, “डॉक्टर नरेन्द्र ने जनवरी-फरवरी 2025 में 15 मरीजों की एजियोप्लास्टी की थी। इनमें से 7 मरीजों की मौत हो गयी। कई परिजनों ने उनसे इस मामले में बात की। लेकिन उन्होने गंभीरता से नहीं लिया जिसके बाद मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया”
मृतकों के परिजनों ने बताई कहानी
एंजियोप्लास्टी के बाद मिशनरी अस्पताल में जिन मरीजों की मौत हुई उसमें से एक रहीसा बेग के बेटे नबी का दावा है कि 12 फरवरी को उसकी माँ को हार्ट अटैक आया था। आनन-फानन में नबी अपनी माँ को लेकर नजदीक के अस्पताल में पहुँचा। माँ की हालत गंभीर थी इसलिए रहीसा बेग को मिशन अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया गया। डॉक्टर नरेन्द्र यादव ने बताया कि रहीसा बेग के दिल में दो ब्लॉकेज हैं एक 80% है और दूसरा 90% इसलिए एंजियोप्लास्टी करनी पड़ेगी। भोपाल ले जाने की बात जब बेटे नबी ने की तो डॉक्टर नरेन्द्र यादव ने यहीं ऑपरेशन करने की बात कही। मरीज के परिजनों से 50 हजार रुपए जमा करवाए गए। यहाँ तक कि क्या इलाज किया जा रहा है इसकी जानकारी भी नहीं दी गई। 15 फरवरी को रहीसा बेग की एंजियोप्लास्टी की गई और आधे घंटे बाद उसकी मौत हो गई।
एक अन्य मरीज सुमरत सिंह का कहना है कि वे मिशन अस्पताल अपने चाचा को लेकर आए थे। चाचा होश में थे। उन्हें वार्ड से बाहर निकाल दिया गया। अस्पताल के कई स्टाफ मिलकर चाचा का सीना दबा रहे थे। कुछ देर बार स्टाफ चले गए। परिजनों से कई सादे कागज पर हस्ताक्षर करवाए गए और कहा कि मरीज को वेंटिलेटर पर रखना होगा। हमने वार्ड में दरवाजे के शीशे से झांका तो देखा कि चाचा शांत थे। उन्हें वेंटिलेटर पर रखकर शाम 4 बजे तक इलाज का दावा करते रहे इसके बाद कर्मचारियों ने पूछने पर कहा कि चाचा की मौत हो चुकी है। इसके बाद शव सौंप दिया गया. सुमरत सिंह का कहना है कि जब चाचा की मौत पहले हो चुकी थी तो वेंटिलेटर पर क्यों शाम तक रखा? डॉक्टरों ने चाचा को बगैर देखे सिर्फ कर्मचारी के कहने पर मौत की पुष्टि कैसे कर दी?
अस्पताल ने दी सफाई
मिशन अस्पताल की प्रभारी प्रबंधक पुष्पा खरे के मुताबिक जाँच अधिकारियों ने जो भी दस्तावेज माँगे उसे दे दिए गए हैं। इंटीग्रेटेड वर्कफोर्स इंक्वायरी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से डॉक्टर की नियुक्ति की गई थी. 1 जनवरी को डॉक्टर नरेन्द्र यादव ने मिशन अस्पताल ज्वाइन किया था। अस्पताल का कहना है कि उन्होने सीधे भर्ती नहीं ली थी इसलिए डिग्री को लेकर वे कुछ नहीं कह सकते।
अस्पताल मालिक पर लगा था मानव तस्करी का आरोप
इस मुद्दे को सोशल मीडिया के माध्यम से सामने लाने वाले प्रियंक कानूनगो के मुताबिक सेंट्रल इंडिया क्रिश्चन द्वारा संचालित मिशन अस्पताल का संचालक और सर्वेसर्वा डॉक्टर अजय लाल नर्सिंग होम भी चलाता है। डॉक्टर लाल ने आधारशिला नाम से समाजसेवी संस्था भी चलाई थी जिसे पहले मिड इंडिया क्रिश्चियन मिशन नाम से जाना जाता था। संस्थान के पास ही बाल भवन अनाथालय भी था। 7 अगस्त 2024 को डॉक्टर लाल पर मानव तस्करी के आरोप लगे। उसे घर पर नजरबंद कर दिया गया लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही परिवार समेत विदेश फरार हो गया। अनाथालय को फिलहाल बंद कर दिया गया है।
मिशन अस्पताल 10 सालों से चल रहा है जहाँ 131 बेड हैं. अस्पताल के पास ऑक्सीजन प्लांट भी है इसके अलावा पैथ लैब, ब्लड बैंक, डायलिसिस यूनिट, इमरजैंसी, ट्रॉमा सेंटर, ऑपरेशन थियेटर समेत तमाम सुविधाएँ हैं।