एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह की टिप्पणियाँ स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि भारत में रक्षा उपकरणों की डिलीवरी में देरी अब एक संरचनात्मक समस्या बन चुकी है, खासतौर पर जब हम “मेक इन इंडिया” नीति और स्वदेशीकरण की ओर बढ़ रहे हैं।
मुख्य बातें:
1. तेजस Mk1A की डिलीवरी में देरी:
- 2021 में HAL के साथ 83 तेजस Mk1A जेट्स की डील हुई थी।
- मार्च 2024 से डिलीवरी शुरू होनी थी — आज तक एक भी विमान नहीं आया।
- एयर चीफ ने कहा: “हमें शुरू में ही पता होता है कि चीजें समय पर नहीं आएंगी।”
2. डिफेंस डील्स की टाइमलाइन पर सवाल:
“मुझे तो नहीं लगता कि एक भी परियोजना तय समय पर पूरी हुई है।”
- यह बयान भारत की रक्षा परियोजनाओं की गंभीर नियोजन खामी को दर्शाता है।
3. स्वदेशी परियोजनाओं की स्थिति:
- तेजस Mk2 का प्रोटोटाइप तक नहीं आया।
- AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) स्टेल्थ फाइटर का प्रोटोटाइप भी नहीं बना।
- उन्होंने कहा कि सिर्फ निर्माण नहीं, बल्कि डिजाइनिंग क्षमता भी विकसित करनी होगी।
4. सेना और उद्योग के बीच भरोसे की कमी:
- “हमें ओपननेस और कमिटमेंट दिखाने की ज़रूरत है।”
- यानी डिफेंस PSU, DRDO और प्राइवेट सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही होनी चाहिए।
5. ऑपरेशन सिंदूर की सीख:
- यह ऑपरेशन IAF के बदलते रुख और रणनीति की मिसाल है।
- “हर दिन नई तकनीकें आ रही हैं — हमें कल की नहीं, आज की जरूरतें पूरी करनी हैं।”
रणनीतिक संकेत:
बिंदु | असर |
---|---|
मेक इन इंडिया | उद्देश्य अच्छा है लेकिन वास्तविक क्रियान्वयन ढीला है |
HAL व DRDO | क्षमता तो है, पर डिलिवरी और टाइम मैनेजमेंट में फेल |
सेना की उम्मीद | IAF को तत्काल ऑपरेशनल क्षमता चाहिए — भविष्य की नहीं |
निजी उद्योग | AMCA जैसे प्रोजेक्ट में प्राइवेट भागीदारी का स्वागत, पर स्पष्ट रणनीति की जरूरत |
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में यह कहना क्यों अहम है?
- वायुसेना प्रमुख का यह सीधा बयान रक्षा मंत्रालय के सामने Accountability की मांग है।
- यह केवल HAL या DRDO पर आरोप नहीं है, बल्कि पूरी प्रणाली की रीडिजाइन की जरूरत दर्शाता है।
निष्कर्ष:
भारत की रक्षा जरूरतें तेजी से बदल रही हैं, लेकिन डिलीवरी और तकनीकी विकास उसी रफ्तार से नहीं हो रहा।
एयरफोर्स भविष्य के लिए तभी तैयार होगी, जब आज की जरूरतें समय पर पूरी की जाएँ।