उत्तराखंड में ध्वस्त सिल्कयारा सुरंग से 41 श्रमिकों को बचाने की मेहनत आखिर रंग लाई। दो हफ्ते से अधिक समय तक चलने चलने वाला कठिन अभियान 28 नंवबर को समाप्त हुआ।
#WATCH | International tunnelling expert, Arnold Dix offers prayers before local deity Baba Bokhnaag at the temple at the mouth of Silkyara tunnel after all 41 men were safely rescued after the 17-day-long operation pic.twitter.com/xoMBB8uK52
— ANI (@ANI) November 29, 2023
इस बीच सोशल मीडिया पर सभी तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स की प्रशंसा की जा रही है। भारत में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त फिलिप ग्रीन और प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने भी डिक्स के समझदारी की सराहना की जिसके कारण सभी फंसे हुए श्रमिकों को सुरक्षित निकाला गया।
‘यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि’
फिलिप ग्रीन ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उत्तराखंड में सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को सफलतापूर्वक निकालने के लिए अधिकारियों को धन्यवाद। ग्रीन ने ऑस्ट्रेलिया के प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स की विशेष सराहना की, जिन्होंने मैदान पर महत्वपूर्ण तकनीकी सहायता प्रदान की।’
A wonderful achievement by Indian authorities. Proud that Australian Professor Arnold Dix played a role on the ground. 🇦🇺🇮🇳 https://t.co/RI1oSnaUkK
— Anthony Albanese (@AlboMP) November 28, 2023
ऑस्ट्रेलियाई PM ने किया गर्व
ग्रीन के अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने भी अर्नोल्ड डिक्स की तारीफ की और X पर लिखा, ‘भारतीय अधिकारियों की एक अद्भुत उपलब्धि। गर्व है कि ऑस्ट्रेलियाई प्रोफेसर अर्नोल्ड डिक्स ने मैदान पर भूमिका निभाई।’
इस बीच, भारत में नॉर्वे के राजदूत मे-एलिन स्टेनर ने भी इस साहसिक अभियान के लिए बचावकर्मियों की सराहना की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपने आधिकारिक हैंडल पर राजदूत स्टेनर ने पोस्ट किया, ‘बचाव दल और फंसे हुए लोगों के सभी दोस्तों और परिवार के सदस्यों को बधाई। एक कठिन ऑपरेशन का राहत भरा अंत। हम इसमें शामिल सभी लोगों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।’
गौरतलब है कि 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा धंस गया था, जिसका मलबा सुरंग के सिल्क्यारा किनारे के 60 मीटर हिस्से में जा गिरा। इस सुरंग में मौजूद 41 मजदूर अंदर ही फंस गए। बता दें कि सुरंग के 2 किमी लंबे हिस्से में मजदूर फंसे हुए थे।