पूरे साल श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा का इंतजार करते हैं. लंबी जद्दोजहद और दुश्वारियों के बाद लोगों को किसी तरह से बाबा बर्फानी के दर्शन होते हैं. इस बार यात्रा शुरू हुए अभी एक हफ्ता ही बीता है और एक ऐसी खबर आ गई, जिसने आस्थावानों को मायूस कर दिया है. बाबा बर्फानी विलीन हो गए हैं. इस साल अमरनाथ यात्रा बीती 29 जून को ही शुरू हुई थी. 6 जुलाई को खबर आ गई कि अमरनाथ गुफा में हिमलिंग (बर्फ से बना शिवलिंग) पिघल गया. यात्रा शुरू होने के बाद 10 दिन से भी कम समय में बाबा बर्फानी के अदृश्य होने का जिम्मेदार गर्मी को ठहराया जा रहा है. आइए जानते हैं कि इस समस्या से निपटने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं.
अमरनाथ गुफा के भीतर शिवलिंग का निर्माण प्राकृतिक रूप से बर्फ से होता है. गर्मियों में इस गुफा के अंदर मौजूद पानी जम जाता है. इससे शिवलिंग का आकार बढ़ता है. जानकार मानते हैं कि जब बारिश कम होती है तो किसी भी इलाके में गर्मी बढ़ती है. ऊपर से इस बार गर्मी भी भीषण रही. मई से ही उत्तर और मध्य भारत भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं. हाल ही में कश्मीर घाटी का अधिकतम तापमान 35.7 डिग्री तक दर्ज किया गया, जो सामान्य से 7.9 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था. अमरनाथ गुफा के पुजारियों का भी दावा है कि गर्मी की वजह से ही बाबा बर्फानी अबकी जल्दी पिघल गए.
जलवायु परिवर्तन का घाटी पर भी असर
मौसम विज्ञानी मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन हो रहा है. इसके चलते घाटी के लोगों को भी भीषण गर्मी और उमस का सामना करना पड़ रहा है. इसका सीधा असर बाबा बर्फानी पर भी पड़ा है. हालांकि, सिर्फ ग्लोबल वार्मिंग एक कारण है, ऐसा भी नहीं है. अमरनाथ गुफा के आसपास बढ़तीं मानवीय और यांत्रिक गतिविधियां भी इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार बताई जा रही हैं.
पहले भी हुई है ऐसी घटना
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि ऐसा पहली बार नहीं है कि बर्फ के बाबा तीर्थ यात्रा पूरी होने से पहले ही विलुप्त हुए हैं. 2006 में यात्रा शुरू होने से पहले ही बाबा का स्वरूप पिघल गया था. 2004 में तीर्थ यात्रा की शुरुआत के 15 दिनों में ही बाबा विलुप्त हो गए थे. 2013 में 22 दिन में और 2016 में 13 दिनों में हिमलिंग पिघल गया था.
जब यात्रा शुरू होने से पहले ही बाबा बर्फानी विलुप्त हो गए
साल 2006 में यात्रा शुरू होने से पहले ही बाबा बर्फानी विलुप्त हो गए थे. श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड से जुड़े एक सेवानिवृत्त अधिकारी के हवाले से आई रिपोर्ट में बताया गया कि तब श्राइन बोर्ड ने इसका कारण तलाशने की कोशिश की थी. बोर्ड के अनुरोध पर सेना के हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल और स्नो एंड एवलांच स्टडीज इस्टेब्लिशमेंट ने बाबा बर्फानी पर एक अध्ययन किया था. इसमें सामने आया था कि अमरनाथ गुफा के आसपास तापमान में बढ़ोतरी शिवलिंग पिघलने का अहम कारण है. इसके अलावा गुफा में श्रद्धालुओं की बढ़ी संख्या, इसके आसपास बढ़तीं मानवीय गतिविधियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं.
इस अध्ययन से यह भी पता चला था कि हर श्रद्धालु गुफा में करीब 100 वाट ऊर्जा उत्सर्जित करता है. वहीं, अमरनाथ यात्रा के दौरान लगभग 250 आस्थावान एक समय में पवित्र गुफा में एक समय में रहते हैं. अमरनाथ गुफा का वेंटिलेशन लोड करीब 36 किलोवाट बताया गया है. यानी जितने ज्यादा लोग वहां पहुंचते हैं, उतनी ज्यादा ऊर्जा गुफा में पैदा होती है, जो सीधे बाबा बर्फानी पर असर करती है.
सीमित की जा सकती है लोगों की संख्या
जब-जब बाबा के विलुप्त होने की खबर आती है तो जानकार इसको रोकने के लिए कुछ सुझाव देते हैं. मौसम विज्ञानी डॉ. आनंद शर्मा का कहना है कि पहले भी यह समाधान सुझाया जा चुका है कि बाबा बर्फानी के आस-पास पहुंचने वाले लोगों की संख्या सीमित की जानी चाहिए. हालांकि, लोगों की आस्था को देखते हुए यह कितना कारगर होगा, यह भी एक बड़ा सवाल. इसके अलावा गुफा के आसपास मशीनों आदि के इस्तेमाल पर भी रोक लगनी चाहिए. ऐसा संभव है कि इससे कुछ फायदा मिले.
ग्लोबल वार्मिंग से निपटना होगा
इस बदलाव का असली जिम्मेदार ग्लोबल वार्मिंग जिम्मेदार है, जिससे पूरी दुनिया जूझ रही है. इसी के कारण पहाड़ी इलाकों में भी इस बार गर्मी बढ़ी है. ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए पूरी दुनिया को प्रकृति की ओर लौटना होगा और बढ़ते कंक्रीट के जंगलों और मशीनों के इस्तेमाल को रोकना होगा. फिलहाल तो पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग पर चिंताएं जताई जा रही हैं और इंसान कोई सबक लेने को तैयार नहीं दिखता. ऐसे में प्राकृतिक आपदाओं और भीषण गर्मी का सामना करना ही पड़ेगा.
बारिश नहीं होने से बिगड़ी स्थिति
मौसम विज्ञानी डॉ. आनंद शर्मा ने बताया कि बारिश होने पर तापमान घटता है पर ऐसा इस बार घाटी में भी नहीं हुआ. बारिश कम हुई, जिसके कारण तापमान लगातार ज्यादा बढ़ा रहा. इसके अलावा बाबा के दर्शन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इनके बॉडी टेम्प्रेचर का असर भी पड़ रहा. घोड़ों और खच्चरों के साथ ही साथ हेलीकॉप्टर की उड़ानें भी लगातार बढ़ती जा रही हैं. फिर पवित्र गुफा और यात्रा मार्ग पर खान-पान से लेकर अन्य सेवाएं देने वाले लोग, सुरक्षा के लिए तैनात बलों और उपकरणों का असर भी तापमान पर पड़ रहा है.
बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए इस बार भी लोगों में भारी उत्साह दिख रहा है. पिछले साल यानी 2023 में जहां करीब साढ़े चार लाख लोगों ने अमरनाथ यात्रा पूरी कर बाबा के दर्शन किए गए, वहीं इस बार छह लाख लोगों के पवित्र यात्रा करने का अनुमान था. अभी एक सप्ताह ही बीता है और डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर चुके हैं. यानी अगर लोगों की मौजूदगी का असर पड़ता है तो यह आंकड़ा तो लगातार बढ़ता ही जा रहा है.