भारत सरकार द्वारा अवैध घुसपैठियों के खिलाफ शुरू किए गए ‘ऑपरेशन पुश-बैक’ का असर अब ज़मीन पर दिखने लगा है। सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती और रणनीतिक कार्रवाई के चलते अब तक 2000 से अधिक बांग्लादेशी नागरिकों को उनकी इच्छा से या पकड़कर सीमा पार वापस भेजा जा चुका है, जबकि 2000 और घुसपैठिए अब खुद ही सीमा पर आकर वतन वापसी के लिए तैयार हो गए हैं।
अवैध घुसपैठियों की पहचान तेज़, कई राज्यों में कार्रवाई
देश के कई राज्यों में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की प्रक्रिया तेज कर दी गई है:
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दिल्ली में पिछले 6 महीनों में 700 से अधिक घुसपैठिए पकड़े गए, जबकि 900 की पहचान की जा चुकी है।
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गुजरात, महाराष्ट्र, असम, हरियाणा सहित अन्य राज्यों में भी व्यापक कार्रवाई जारी है।
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घुसपैठियों की बायोमेट्रिक जानकारी एकत्र कर राष्ट्रीय डेटाबेस से जोड़ा जा रहा है, ताकि दोबारा घुसपैठ को रोका जा सके।
कानूनी प्रक्रिया से बचने को तैयार वतन वापसी
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, पकड़े जाने पर जेल और लंबी कानूनी प्रक्रिया से डरकर हजारों अवैध घुसपैठिए अब खुद ही भारत-बांग्लादेश सीमा पर पहुँच रहे हैं और स्वेच्छा से लौटना चाह रहे हैं। इनमें अधिकांश गरीब और निम्नवर्गीय तबकों से आते हैं, जिन्हें दलालों ने धोखे से भारत पहुँचाया था।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इस सप्ताह के अंत तक यह संख्या 10 से 20 हजार तक पहुँच सकती है, जिससे बांग्लादेश सरकार की चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
क्या है ‘ऑपरेशन पुश-बैक’?
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शुरुआत: अप्रैल 2025
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उद्देश्य: भारत में रह रहे अवैध बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं की शीघ्र पहचान और निष्कासन
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नई रणनीति: लंबी कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर सीधे सीमा से बाहर धकेलने की नीति
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समयसीमा: गृह मंत्रालय ने घुसपैठियों की पहचान और उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि के लिए 30 दिन की सीमा तय की है।
भारत में 2 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी: एक बढ़ती चुनौती
2016 के सरकारी अनुमान के अनुसार, भारत में 2 करोड़ से अधिक बांग्लादेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं।
इनमें से कई लोग सालों से भारत में नौकरी, वोटर कार्ड और आधार कार्ड बनवाकर रह रहे हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और संसाधनों पर गंभीर असर पड़ रहा है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव के संकेत
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8 मई 2025 को बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने भारत को पत्र लिखकर ‘पुश-बैक’ नीति पर आपत्ति जताई थी।
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इसके जवाब में भारत ने 22 मई को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि वर्तमान में भारत में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं और उनकी राष्ट्रीयता की पुष्टि के लिए 2360 मामलों की सूची लंबित है।
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भारत ने यह भी कहा कि कई मामलों में 2020 से पुष्टि की प्रक्रिया लंबित है।
‘ऑपरेशन पुश-बैक’ भारत की बदलती राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का प्रतीक है, जो स्पष्ट संदेश देता है कि अवैध घुसपैठ अब सहन नहीं की जाएगी।
यह अभियान न केवल अवैध नागरिकों की पहचान और निष्कासन का प्रयास है, बल्कि सीमा सुरक्षा, जनसंख्या संतुलन और संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग की दिशा में भी एक निर्णायक कदम है।