बेंगलुरु में आरसीबी की जीत की खुशी मातम में बदल जाना एक त्रासदी है जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। यह हादसा न सिर्फ भीड़ प्रबंधन की विफलता को उजागर करता है, बल्कि इसने कई परिवारों की खुशियों को हमेशा के लिए छीन लिया।
RCB विक्ट्री परेड में मची भगदड़: अब तक का सबसे दुखद सच
तारीख: बुधवार शाम
स्थान: चिन्नास्वामी स्टेडियम, गेट नंबर-7, बेंगलुरु
कारण:
- फ्री टिकट मिलने की अफवाह
- भीड़ नियंत्रण में न होना
- सुरक्षा व्यवस्था में भारी चूक
11 मृतकों की सूची (सभी 40 वर्ष से कम आयु के):
नाम | उम्र (वर्ष) |
---|---|
दिव्यांशी | 13 |
शिवलिंग | 17 |
चिन्मयी | 19 |
भूमिक | 20 |
श्रवण | 20 |
प्रज्वल | 20 |
सहाना | 25 |
अक्षता | 27 |
देवी | 29 |
दोरेशा | 32 |
मनोज | 33 |
पीड़ितों की कहानी:
- एक पिता जिसने अपने इकलौते बेटे को खो दिया, अधिकारियों से पोस्टमार्टम न करने की गुहार करता रहा –
“कम से कम मुझे उसकी लाश तो दे दो… टुकड़ों में मत काटो…”
- दिव्यांशी, मात्र 13 साल की बच्ची, क्रिकेट की दीवानी थी और आरसीबी की सबसे छोटी फैन बताई जा रही है।
सवाल उठते हैं:
- भीड़ का आंकलन किसने किया और कैसे?
- क्या फ्री टिकट की अफवाहों को रोकने की कोई व्यवस्था नहीं थी?
- VIP सुरक्षा के बजाय, आम जनता की सुरक्षा प्राथमिकता क्यों नहीं बनी?
- क्या इस तरह के आयोजन के लिए आपदा प्रबंधन या मेडिकल इमरजेंसी प्लान था?
अब ज़रूरी है कि:
- जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
- भविष्य में इस तरह की परेड/समारोहों की सुरक्षा नीति में आमूलचूल बदलाव हो।
- मृतकों के परिजनों को मुआवजा और घायलों को बेहतर इलाज मिले।
- भीड़ नियंत्रण और अफवाहों पर काबू के लिए तकनीकी उपाय (जैसे SMS अलर्ट, लाइव काउंटर अपडेट) लागू किए जाएं।