इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जिले की शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के मामले में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए कुछ राहत दी है, लेकिन उनकी एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है।
कोर्ट का फैसला:
- गिरफ्तारी में राहत:
- कोर्ट ने अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य केस के आधार पर निर्देश दिया कि 7 साल से कम सजा वाले अपराधों में सामान्यतः गिरफ्तारी नहीं की जाए।
- इससे सांसद बर्क को फिलहाल गिरफ्तारी से थोड़ी राहत मिली है।
- एफआईआर रद्द करने से इनकार:
- हाईकोर्ट ने सांसद बर्क द्वारा दाखिल सभी एफआईआर को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी।
- कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी एफआईआर को एक साथ क्लब कर सुनवाई की जाएगी।
पृष्ठभूमि:
- 24 नवंबर को संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।
- हिंसा में चार लोगों की मौत और 30 से अधिक लोग घायल हुए थे।
- पुलिस ने समाजवादी पार्टी सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ हिंसा के लिए लोगों को भड़काने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी।
- सांसद बर्क ने इन आरोपों को “राजनीतिक बदले की भावना” बताते हुए याचिका दाखिल की थी।
याचिका की मुख्य मांग:
- एफआईआर रद्द करने की।
- अंतिम फैसले तक गिरफ्तारी और पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने की।
राज्य सरकार का पक्ष:
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और शासकीय अधिवक्ता एके सण्ड ने कोर्ट में तर्क रखा। उन्होंने सांसद बर्क के खिलाफ दर्ज केस को न्यायसंगत ठहराया।
हिंसा की स्थिति:
- जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान अचानक हालात बिगड़ गए।
- पुलिस ने बताया कि हिंसा योजनाबद्ध थी और इसमें उकसावे की भूमिका रही।
- सांसद बर्क पर आरोप है कि उन्होंने लोगों को हिंसा के लिए उकसाया।
अगला कदम:
- कोर्ट के निर्देशानुसार, सभी एफआईआर को एक साथ सुनवाई के लिए क्लब किया जाएगा।
- सांसद बर्क को अब इस मामले में कानूनी प्रक्रिया का सामना करना होगा, क्योंकि एफआईआर वैध बनी रहेगी।
यह मामला राजनीति, कानून और स्थानीय शांति व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षण के रूप में देखा जा रहा है।