पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भारत-पाकिस्तान में चल रहे तनाव के बीच अमेरिका ने नई दिल्ली के साथ बड़ी सैन्य डील की है। अमेरिका ने अपने रणनीतिक संबंधों के अनुरूप भारत को 131 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के महत्वपूर्ण सैन्य हार्डवेयर और रसद सहायता परिसंपत्तियों की आपूर्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पेंटागन हाउस के इस फैसले से पाकिस्तान में खलबली मचना तय माना जा रहा है।
डील का स्वरूप:
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मूल्य: $131 मिलियन (लगभग ₹1100 करोड़)
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प्रमुख सामग्री:
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सी-विज़न सॉफ़्टवेयर और दस्तावेज़
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रिमोट एनालिटिकल सहायता
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विश्लेषणात्मक उपकरण और लॉजिस्टिक सपोर्ट
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कार्यकारी एजेंसी: अमेरिका की Defense Security Cooperation Agency (DSCA)
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ठेकेदार कंपनी: HawkEye 360 (हर्नडन, वर्जीनिया)
प्रमुख उद्देश्य:
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इंडो-पैसिफिक समुद्री डोमेन जागरूकता (Maritime Domain Awareness) को मजबूत करना।
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भारत को वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए तकनीकी रूप से सक्षम बनाना।
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समुद्री निगरानी, डेटा एनालिटिक्स, और रियल-टाइम इंटेलिजेंस को बढ़ाना।
भूराजनीतिक संदेश:
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भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार के रूप में मान्यता और समर्थन।
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अमेरिका का यह कदम पाकिस्तान और चीन के लिए स्पष्ट संकेत है, खासकर ऐसे समय में जब भारत आतंकवाद से प्रभावित हुआ है।
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भारत की सुरक्षा नीति में अमेरिका की महत्वपूर्ण भागीदारी का विस्तार।
रणनीतिक प्रभाव:
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भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा क्षमता में वृद्धि।
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इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संयुक्त संचालन और खुफिया साझेदारी को बल मिलेगा।
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अमेरिका को भारत के साथ गहरे सहयोग से चीन को संतुलित करने की रणनीतिक बढ़त।
भारत के लिए लाभ:
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अत्याधुनिक डेटा विश्लेषण और ट्रैकिंग क्षमताएं।
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समुद्री और अंतरिक्ष आधारित निगरानी के क्षेत्र में तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम।
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नीति निर्माताओं और सुरक्षा बलों को सटीक निर्णय लेने में मदद।
यह डील केवल रक्षा उपकरणों की खरीद नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक सोच, तकनीकी भविष्य, और वैश्विक साझेदारियों की दिशा का संकेत है। अमेरिका का यह समर्थन भारत को न केवल तकनीकी बल देगा, बल्कि राजनयिक और भूराजनीतिक समर्थन भी सुनिश्चित करेगा।