गुजरात के हीरा कारोबारी गोविंद ढोलकिया राम मंदिर के लिए चंदा देकर सुर्खियों में आए थे. उन्होंने 11 करोड़ रुपये का चंदा दिया था. अब गोविंद ढोलकिया को भारतीय जनता पार्टी राज्यसभा भेजने की तैयारी में है. राज्यसभा के लिए नामांकित होने पर हीरा व्यवसायी गोविंद ढोलकिया ने कहा कि मैं एक किसान परिवार से हूं. किसान से एक व्यवसायी बनने की मेरी यात्रा काफी सुखद रही है.
कौन हैं गोविंद भाई ढोलकिया?
बता दें कि डायमंड का बिजनेस करने वाले गोविंद ढोलकिया सूरत से हैं. वे यहां गुजरात की कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हैं. गोविंद भाई ढोलकिया ने कहा कि उनका नाम राज्यसभा के लिए तय होने की जानकारी गृहमंत्री अमित शाह ने दी थी. गोविंद भाई ढोलकिया SRK यानि श्री राम कृष्ण एक्सपोर्ट के नाम से डायमंड का कारोबार करते हैं. गोविंद भाई ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह राजनीति में या राज्यसभा में जाएंगे. अमित शाह ने बताया था कि उन्होंने और नरेंद्र भाई मोदी ने राज्यसभा भेजने के लिए नाम तय किया है. गोविंद भाई ने छठवीं क्लास तक शिक्षा हासिल की है. वे 15-16 साल की उम्र में पढ़ाई छोड़कर सूरत आ गए थे. आगामी दो अप्रैल को सूरत में रहकर कारोबार करते हुए 60 साल हो जाएंगे.
BJP releases another list of candidates for the Rajya Sabha Biennial elections.
Party president JP Nadda from Gujarat
Ashok Chavan, Medha Kulkarni from Maharashtra pic.twitter.com/eIZXmvyjcn
— ANI (@ANI) February 14, 2024
गोविंद ढोलकिया ने कहा कि मुझे केवल चार घंटे पहले ही अपने नामांकन के बारे में पता चला. भाजपा नेतृत्व ने मेरा नाम तय करने से पहले निश्चित रूप से विचार किया होगा. गोविंद भाई ढोलकिया श्रीरामकृष्ण एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (एसआरके) के संस्थापक और निदेशक हैं. उनका पूरा नाम गोविंद लालजीभाई ढोलकिया है. उन्हें बिजनेस की दुनिया के लोग जीएलडी कहते हैं और घर में गोविंद काका के नाम से बुलाया जाता है.
गोविंद भाई ढोलकिया ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वे भीषण गर्मी में 14 घंटे खेतों में काम करते थे. 1964 में जब पहली बार सूरत आया तो शहर में हीरा पॉलिश करने वाले 200-300 लोगों की तरह मैं भी दिन में पॉलिश करता था.’ हीरा पॉलिश करने के दौरान 28 प्रतिशत खुरदरे पत्थर को चमकदार हीरे में बदला जाता था. बाकी कचरा हो जाता था. दृढ़ता से काम करते हुए ढोलकिया ने 28 की जगह 34 प्रतिशत पत्थर को बचा लिया, जिससे यह ऊंची कीमत का हीरा तैयार हो गया.
गोविंद भाई ने बताया था कि मेरे काम से खुश होने की बजाय मालिक ने मुझसे कहा कि जो कचरा बचा है, इसे काट-छांटकर छोटे-छोटे हीरे तैयार करो, लेकिन मैंने मना कर दिया. इस दौरान मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं पत्थर से 6 प्रतिशत ज्यादा हीरे तैयार कर सकता हूं तो फिर मुझे अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहिए. इस तरह 1970 में दो साझीदारों के साथ श्री रामकृष्ण (एसआरके) एक्सपोर्ट्स की शुरुआत की.
सूरत के बीच में स्थित कतारगाम को वैश्विक डायमंड पॉलिशिंग हब के रूप में जाना जाता है. कतारगाम में स्थित छह मंजिला ‘एसआरके एम्पायर’ और इसके बगल में नौ मंजिला एसआरके हाउस, एसआरके के मुख्यालय के रूप में हैं. तीन दशक पहले सूरत को हीरा पॉलिशिंग के वैश्विक मानचित्र पर लाने का श्रेय एसआरके को ही जाता है.