लगभग डेढ़ महीने बाद, संभवत: 13 सितंबर को एअरबस कंपनी निर्मित सी295 विमान भारतीय वायुसेना में सम्मिलित होने स्पेन के सैविल से भारत आएगा। जबकि अगले साल से भारत में ही एअरबस के साथ मिलकर देश की दिग्गज निजी कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड इस विमान के निर्माण की तैयारी शुरू कर देगा।
2026 में तैयार होगा पहला स्वदेशी सी295 विमान
संभवत: 2026 में देश में निर्मित पहला सी295 तैयार होगा। सच्चाई यह है कि उस विमान के साथ आत्मनिर्भर भारत की सोच सही मायने में उड़ान भरेगी, क्योंकि इसके साथ ही यह सपना भी आकार ले सकेगा कि भारत विमान निर्माण में अपनी स्वदेशी क्षमता बना सकता है।
सितंबर में भारत आएगा पहला सी295 विमान
दैनिक जागरण ने हाल ही में एअरबस के सैविल प्लांट का दौरा किया जहां रक्षा विमान बनते हैं। भारत के साथ हुए करार के मद्देनजर वायुसेना के लिए पहला सी295 भी बनकर तैयार खड़ा था, जिसे लेने खुद वायुसेना प्रमुख सितंबर में जाएंगे। दूसरे विमान को लेकर काम शुरू हो चुका है। एअरबस के अधिकारियों ने बताया कि दूसरा विमान अगले साल मई में और उसके बाद हर महीने एक एक विमान भारत आएगा।
भारतीय वायुसेना को 56 विमानों की जरूरत
वायुसेना को कुल 56 विमान चाहिए, जिसमें से 16 स्पेन से आएगा और बाकी के 40 विमान वडोदरा में बन रहे टाटा के प्लांट में बनेंगे। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से जिस आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी गई है, कम से कम रक्षा क्षेत्र में सी295 उसे पूरा विस्तार देगा। क्योंकि इस विमान में लगने वाले लगभग 95 फीसद कंपोनेंट भी भारत में ही बनेंगे।
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बल
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने रक्षा निर्माण में भारत की क्षमता बढ़ाने के लिए तीन साल पहले सैंकड़ों रक्षा हथियारों के आयात पर रोक लगाई थी। देश में डिफेंस कॉरिडोर के निर्माण पर बल दिया गया। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सी295 एक झटके में भारत को वहां लाकर खड़ा कर देगा, जहां से विमान निर्माण की पूरी स्वदेशी क्षमता भी संभव होगी।
अब तक एचएएल जैसी सरकारी कंपनी ही इस क्षेत्र में थी, लेकिन सी295 जैसे विमान का निर्माण अलग होगा। लगभग 15 हजार उच्च कौशल की नौकरियां सृजित होंगी और लगभग 10 हजार एमएसएमई खड़े होंगे, क्योंकि लगभग 14-15 हजार कंपोनेंट भी यही बनेंगे। इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड जैसी सरकारी कंपनियों की भी भागीदारी होगी। भारतीय वायुसेना की मांग के अनुसार एअरबस ने कुछ बदलाव भी किए हैं।