सरकार ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से संबंधित पांच उप-योजनाओं वाली ”पृथ्वी विज्ञान (पृथ्वी)” पहल को शुक्रवार को मंजूरी दे दी। 2021-26 की अवधि में इस पर 4,797 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इस पहल से अनुसंधान को बल मिलने और पृथ्वी विज्ञान से संबंधित अलग-अलग उप-योजनाओं के लिए आवंटित धन का उपयोग करने की सुविधा मिलेगी। इस योजना में वर्त्तमान में चल रही पांच उप-योजनाएं शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस संबंध में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस पहल में शामिल योजनाओं में जलवायु अनुसंधान-प्रारूप निरीक्षण प्रणाली और सेवाएं, ‘महासागर सेवाएं, प्रारूप अनुप्रयोग, संसाधन एवं प्रौद्योगिकी, ध्रुवीय विज्ञान और क्रायोस्फीयर अनुसंधान, भूकंप विज्ञान और भूविज्ञान और अनुसंधान, शिक्षा, प्रशिक्षण एवं आउटरीच शामिल हैं।
भारत-मारीशस विकसित करेंगे छोटा उपग्रह
भारत और मारीशस संयुक्त रूप से एक छोटा उपग्रह विकसित करेंगे। इसे अगले साल की शुरुआत में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा लांच किया जाएगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल को शुक्रवार को अवगत कराया गया। संयुक्त छोटे उपग्रह के विकास के लिए भारत और मारीशस ने पिछले साल एक नवंबर को विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन की पोर्ट लुइस यात्रा के दौरान समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। संयुक्त उपग्रह की अनुमानित लागत 20 करोड़ रुपये है, जिसे भारत वहन करेगा।
गुयाना के साथ समझौता करेगा भारत
भारत कच्चा तेल खरीदने के लिए गुयाना के साथ समझौता करेगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कच्चे तेल खरीदने सहित हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में सहयोग के लिए गुयाना के साथ पांच साल के समझौता ज्ञापन (एमओयू ) पर हस्ताक्षर करने को मंजूरी दे दी। प्रस्तावित एमओयू में समझौता पांच साल की अवधि के लिए होगा, जिसमें दोनों देशों के सहमत होने पर नवीकरण का प्रविधान होगा।