कैग रिपोर्ट ने खोली केजरीवाल सरकार की पोल, मोहल्ला क्लीनिक की असलियत उजागर
दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक, जिनका प्रचार अरविंद केजरीवाल ने “आयुष्मान भारत से बेहतर” बताकर किया था, अब उनकी असलियत कैग (CAG) की रिपोर्ट में उजागर हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, ये क्लीनिक बुनियादी सुविधाओं से भी महरूम हैं और स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर केवल दिखावा बनकर रह गए हैं।
कैग रिपोर्ट के मुख्य खुलासे:
✅ बुनियादी सुविधाओं का अभाव
- 218 में से 41 मोहल्ला क्लीनिक बंद पड़े हैं।
- 74 क्लीनिकों में दवाओं का स्टॉक नहीं था।
- थर्मामीटर, पल्स ऑक्सीमीटर जैसी मूलभूत चीजों की भी कमी।
- दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर, रैंप्स की सुविधा नहीं।
✅ लक्ष्य और हकीकत
- 2017 में दिल्ली में 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का वादा किया गया था।
- 2023 तक सिर्फ 523 क्लीनिक ही खोले गए।
- इन क्लीनिकों में पीने के पानी और शौचालय तक की व्यवस्था नहीं।
✅ डॉक्टरों और कर्मचारियों की भारी कमी
- 70% मरीजों को डॉक्टर एक मिनट से भी कम समय देते हैं।
- कई क्लीनिकों में डॉक्टर ही नहीं हैं।
- राजीव गांधी और जनकपुरी सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ के 96% पद खाली।
- डॉक्टरों के 74% पद खाली और पैरामेडिक्स के 62% पद खाली।
✅ दिल्ली के अस्पतालों की दुर्दशा
- 27 अस्पतालों में से 50% में ICU नहीं।
- 60% ब्लड बैंक के बिना चल रहे हैं।
- 8 अस्पतालों में ऑक्सीजन की सुविधा नहीं।
- 12 अस्पतालों में एंबुलेंस नहीं और 15 में मुर्दाघर तक नहीं।
✅ स्कूली बच्चों की स्वास्थ्य योजना भी फेल
- 2016-17 से 2020-21 तक 32,000 नए अस्पताल बेड जोड़ने का प्रस्ताव था, लेकिन नहीं जोड़े गए।
- 17 लाख स्कूली बच्चों में से सिर्फ 2.8-3.5 लाख बच्चों को ही स्कूल हेल्थ योजना का लाभ मिला।
कैग रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि केजरीवाल सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक का सिर्फ प्रचार किया, लेकिन धरातल पर असली काम नहीं हुआ। डॉक्टरों, दवाओं और सुविधाओं की भारी कमी के कारण ये क्लीनिक जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। दिल्ली के अस्पतालों की भी स्थिति चिंताजनक है, जिससे साफ है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में केजरीवाल सरकार का प्रदर्शन बेहद खराब रहा।