यूपी खनन घोटाला मामले में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव को सीबीआई ने समन भेजा है. सीबीआई ने अवैध खनन मामले में अखिलेश यादव को पूछताछ के लिए 29 फरवरी को तलब किया है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस पूछताछ के लिए समन का नोटिस अखिलेश यादव को भेजा है. अवैध खनन मामले में बतौर गवाह अखिलेश यादव को सीबीआई के सामने पेश होना है. इस पूरे मामले की जांच में तेजी आई है. 29 फरवरी को इस मामले में गवाही होनी है.
यूपी की सियासत गरमाने के आसार
सीबीआई की ओर से अखिलेश यादव को समन भेजे जाने के बाद यूपी का सियासी टेंपरेचर हाई हो गया है. गौरतलब है कि इंडी गठबंधन में शामिल सारे घटक दल एक सुर में बीजेपी पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं. बंगाल से लेकर बंबई (मुंबई) तक यानी पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक के विपक्षी दल बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं. इससे इतर बीजेपी नेताओं का कहना है कि करप्शन रोकने के लिए कानून अपना काम कर रहा है. एंजेसियां अपना काम कर रही हैं. जिसने गलत किया है उसे सजा जरूर मिलेगी. ऐसे में विपक्ष के आरोप और दावे झूठे हैं.
100 करोड़ से अधिक का घोटाला
बड़ी मात्रा में हो रहे अवैध खनन के मामले में आज सीबीआइ ने कई जगहों पर पड़ताल की थी. आरोप है कि अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की सरपरस्ती में यह अवैध खनन का घोटाला सौ करोड़ से अधिक का था. गायत्री प्रजापति अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. उसी दौरान खनन घोटाला सामने आया था.
हाईकोर्ट पहुंचा अवैध खनन घोटाले का मामला
सौ करोड़ के अवैध खनन के भ्रष्टाचार की लोकायुक्त को शिकायत की गई थी. अकेले हमीरपुर जिले में अवैध मौरंग खनन और सिंडीकेट के नेटवर्क से करोड़ों की वसूली किये जाने के मामले में एमएलसी सहित तमाम मौरंग व्यवसायी सीबीआई के रडार पर आ गये थे. अवैध खनन करने को लेकर सीबीआइ की उस समय हमीरपुर में डीएम रह चुके आईएएस अफसर से पूछताछ हुई थी.
क्या है पूरा मामला?
अखिलेश यादव की सरकार में बी चंद्रकला की बतौर जिलाधिकारी पोस्टिंग हमीरपुर जिले में हुई थी. आरोप है कि जुलाई 2012 के बाद हमीरपुर जिले में 50 मौरंग के खनन के पट्टे किए थे. ई-टेंडर के जरिए मौरंग के पट्टों पर स्वीकृति देने का प्रावधान था लेकिन बी.चन्द्रकला ने सारे प्रावधानों की अनदेखी की थी. 2015 में अवैध रूप से जारी मौरंग खनन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर 2015 को हमीरपुर में जारी किए गए सभी 60 मौरंग खनन के पट्टे अवैध घोषित करते हुए रद कर दिया था. इसके बावजूद यहां पर बड़ी मात्रा में खनन हुआ था.