पंजाब में ईसाइयत तेजी से पैर पसार रही है। इस बार ईसाई बनाने वालों ने नई तरकीब अपनाई है। नए ईसाइयों का नाम पीटर, जॉन या रिचर्ड नहीं है। नए ईसाई गुरविंदर, प्रीतिंदर या जसप्रीत जैसे ही नाम वाले हैं। उनके सिरों पर सिक्खी की पहचान पगड़ी भी है। कई के हाथ में पंच ककार की पहचान बताने वाला कड़ा भी है। लेकिन उनकी जबान पर नाम नानक जी का नहीं बल्कि यीशु मसीह का है। ईसाइयत का यह स्थानीय वर्जन हर तरीके की समस्या हल करने का दावा करता है। कोट पैंट पहनने वाले पास्टर चमत्कार दिखाते हैं।
ईसाइयत का हो गया लोकलाइजेशन
विज्ञान में एक थ्योरी है, अगर आप एक मेंढक को उबलते पानी में डाल देंगे, तो वह उछल कर भाग जाएगा। लेकिन आप ठन्डे पानी में मेंढक को डाल दें और धीमे-धीमे पानी गरमाएँ, तो अपनी ऊर्जा नए तापमान पर एडाप्ट होना में लगाएगा और जबतक तापमान उसे जलाने के स्तर तक पहुँचेगा, वह अपनी शक्ति खो चुका होगा। पंजाब और ईसाइयत का यही नाता है। पंजाब में ईसाइयत को फ़ैलाने वालों ने लोगों को धीमे-धीमे तरबियत देना चालू किया है। नई मिशनरियाँ ना किसी को नाम बदलने को कहती हैं, ना ही अपनी पहचान।
पंजाब के सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में चर्च और मिनिस्ट्री (जहाँ पास्टर रहते हैं और ईसाइयत से जुड़े काम होते हैं) फैली हुई हैं। रिपोर्ट बताती है कि यहाँ चर्च का नाम बदल कर ‘यहोवा दा मंदिर’ हो गया है। पास्टर यानी पादरी को ‘पापा जी’ कहा जाता है। बाइबल और बाकी किताबों को ‘पवित्र शास्त्र’ या ‘नीतिवचन’ जैसे नामों से चलाया जाता है। यहाँ तक कि यीशु की प्रार्थना में गाए जाने वाले ईसाई भजन भी पंजाब में आकर टप्पे (स्थानीय संगीत) और भजन का रूप ले लिया है।
अगर आप भजन के बोल पर ध्यान ना दें, तो शायद बता भी ना पाएँ कि कोई यीशु की शान में कसीदे पढ़ रहा है। पंजाब में ईसाइयत का नया ढाँचा आपकी पहचान नहीं बदलता, आपके विचार जरूर बदल देता है। आपको अपने मूल धर्म से दूर कर देता है। यह काफी सोच समझ कर किया गया है। ईसाइयत में लाए जा रहे लोगों को लगता है कि कुछ भी ऐसा नहीं बदल रहा जो उनको बाहर से दिखे, ऐसे में क्या बुराई है। इन्हीं को ‘क्रिप्टो क्रिश्चियन’ कहते हैं।
चमत्कार की कहानी, पवित्र तेल और गवाहियाँ
ईसाइयत को फैलाने के लिए बनाई गई मिनिस्ट्री का रकबा एकड़ों में है। ऐसी ही एक मिनिस्ट्री में एक पत्रकार पहुँची थी। यह पास्टर अंकुर नरूला की थी। यहाँ विश्व का चौथा सबसे बड़ा चर्च बन रहा है। रिपोर्ट बताती है कि इस संस्थान के भीतर हर कदम पर वो लोग खड़े हैं, जो अपनी चमत्कार की कहानी सुनाते हैं। सारी कहानियों में ईसाइयत या फिर ‘पापा जी’ की शरण में आने से पहले की दुखभरी कहानी होती है, जबकि शरण के बाद सारी समस्याएँ खत्म हो चुकी होती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, यहाँ मिले हुए लोग नए आए लोगों को दिल का दौरा सही होने से लेकर कैंसर ठीक करने तक के चमत्कार बताते हैं। एक रिपोर्टर को एक महिला अपनी माँ के दिल का दौरा सही करने की कहानी सुनाती है। वह यहाँ मिलने वाले एक पवित्र तेल का प्रताप इसमें बताती है। रिपोर्ट बताती है कि इस मिनिस्ट्री के भीतर कई काउंसिलर तक बैठे हैं। वह यहाँ आने वालों की समस्या सुनते हैं। उनकी विदेश जाने जैसी इच्छाएँ भी सुनते हैं। हर तरह की समस्या के लिए एक अलग काउन्टर बनाया गया है।
इन चर्च में हर चीज के लिए दुआ करवाई जाती है। सास-बहू का झगड़ा हो या भूत-प्रेत का साया, कोई अगर अपने पैर पर नहीं चल पाता तो उसके लिए भी प्रार्थनाएँ भी हैं। हेल्पलाइन नम्बर भी है। यूट्यूब पर अंकुर नरूला के चैनल पर ऑटिज्म वाले बच्चे को सही करने से लेकर विदेश यात्रा तक के किस्से पड़े हैं। इन्हें अंकुर नरूला के लोग गवाहियां कहते हैं। इसी चैनल पर एक वीडियो पड़ी है, जिसमें पश्चिम बंगाल में किसी जगह पर लोग अजीब तरह से अपने शरीर को झूंकते दिखते हैं। इसमें भी ना जाने कितने लोगों का चमत्कार दिखाया गया है।
पंजाब में ईसाइयत फ़ैलाने के मिशन के केंद्र में कुछ पास्टर हैं। इनकी पूरी व्यवस्थाएँ हैं। बड़े बड़े चर्च हैं। इनमें सबसे चर्चित नाम ‘तेरी बहन बोल नहीं सकती थी’ से फेमस हुए बजिंदर सिंह का है। उनके अलावा अंकुर नरूला एक दूसरा बड़ा नाम हैं। तीसरा बड़ा नाम गुरनाम सिंह खेड़ा हैं। गुरनाम पहले पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर थे। एक और नाम अमृत संधू का है। सुखपाल राणा भी ईसाइयत फैलाने वाले एक बड़े किरदार हैं। इन सबके अलावा एक महिला पास्टर कंचन मित्तल भी पंजाब में काफी सक्रिय हैं।
इन सबके बीच एक चीज कॉमन हैं। इनमें से अधिकांश पेंटाकोस्टल खेमे से जुड़े हैं। यह ईसाइयत का ही एक रूप है। ईसाइयत को बढ़ावा दे रहे यह लोग सालों पहले अपना पूर्व धर्म छोड़ चुके हैं, लेकिन नाम वैसा ही है, ताकि स्थानीय लोगों से जुड़ने में मदद मिले। सबको यूट्यूब पर लाखों फॉलोअर हैं। सबके यूट्यूब पर चमत्कार के किस्से हैं। कहीं कोई किसी महिला के माँ बनने का किसा बताता है तो कोई जन्म से अपाहिजों को चलाने का।
निशाने पर कौन?
पंजाब में लगातार ईसाइयत को बढ़ावा दे रहे इन लोगों का पहला निशाना वो लोग हैं, जो किसी समस्या से परेशान हैं। दूसरे वो हैं जिनके मन में विदेश जाने जैसी अभिलाषाएँ हैं। यह सभी पास्टर इन सारी समस्याओं का हल देने की बात कहते हैं। हाल ही में आई एक रिपोर्ट बताती है कि बीते 2 वर्षों में यहाँ 3.50 लाख लोग ईसाई बनाए गए हैं। तरनतारन जैसे जिलों में यह संख्या तेजी से बढ़ी है। इसको रोकने के लिए सिख धर्मगुरु ज्ञानी हरप्रीत सिंह धर्मांतरण कानून की माँग कर चुके हैं।