यूएसएआईडी (USAID) को लेकर यह विवाद कोई नया नहीं है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद इस एजेंसी की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए गए थे। USAID को लंबे समय से विकास कार्यों के नाम पर दुनियाभर में राजनीतिक हस्तक्षेप और धर्मांतरण को बढ़ावा देने का साधन माना जाता रहा है। खासकर भारत में, इस एजेंसी की फंडिंग से कई हिंदू-विरोधी एनजीओ और मिशनरी संगठनों को आर्थिक सहायता मिलने की बात सामने आई थी।
USAID और भारत विरोधी संगठनों का गठजोड़
USAID ने भारत में कई विवादित संगठनों को धन मुहैया कराया, जो हिंदू समाज और भारतीय संप्रभुता के खिलाफ कार्य कर रहे थे। इनमें प्रमुख रूप से एटलांटिक काउंसिल और वर्ल्ड विजन शामिल हैं।
- एटलांटिक काउंसिल
- इस संगठन को जॉर्ज सोरोस की फंडिंग मिली है, जो लंबे समय से भारत में अस्थिरता फैलाने वाली गतिविधियों से जुड़ा रहा है।
- एटलांटिक काउंसिल के माध्यम से भारतीय पत्रकारों और तथाकथित “फैक्टचेकर्स” को इस्तेमाल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिशें की गईं।
- वर्ल्ड विजन
- यह संगठन दावा करता है कि वह ‘मानवता की सेवा’ करता है, लेकिन वास्तव में इसका उद्देश्य ईसाई मिशनरियों के माध्यम से धर्मांतरण को बढ़ावा देना है।
- भारत में इसके कार्यकलापों का विशेष रूप से ओडिशा, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में प्रभाव देखा गया, जहां स्थानीय आदिवासी समुदायों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन दिए गए।
- ओडिशा के गजपति जिले में स्थित गुम्मा ब्लॉक में तो 85-90% आबादी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो चुकी है।
WEA और धर्मांतरण का नेटवर्क
वर्ल्ड विजन का एक प्रमुख साझेदार वर्ल्ड एवेंजेलिकल अलायंस (WEA) है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक राष्ट्र में चर्चों की स्थापना और गैर-ईसाइयों का धर्मांतरण करना है।
- WEA ने 2008 में खुलेआम स्वीकार किया था कि उनका मुख्य एजेंडा ईसाई धर्मांतरण है।
- यह संगठन अक्सर ‘धार्मिक स्वतंत्रता’ की आड़ में हिंदुओं और अन्य गैर-ईसाई धर्मों को कमजोर करने की रणनीति अपनाता है।
- वर्ल्ड विजन का ‘वर्ल्ड काउंसिल ऑफ चर्चेस’ से भी संपर्क है, जो भारत में ब्रेड फॉर द वर्ल्ड जैसी संस्थाओं के माध्यम से वामपंथी, अर्बन नक्सलियों और हिंदू-विरोधी तत्वों को सहायता पहुंचाता है।
वर्ल्ड विजन और आतंकवाद से संबंध
वर्ल्ड विजन केवल भारत में ही विवादित नहीं है, बल्कि इसके इस्लामिक आतंकी संगठनों से संबंध भी सामने आए हैं।
- 2021 में इजरायली अधिकारियों ने इसकी गाजा ब्रांच पर शिकंजा कसा, जब पाया गया कि इसका गाजा मैनेजर मोहम्मद अल-हबाबी हमास को 50 मिलियन डॉलर की फंडिंग देने में शामिल था।
- जब इस मामले पर वर्ल्ड विजन से सवाल किए गए, तो इसके अधिकारियों ने आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन इजरायल ने इस ब्रांच को बंद करवा दिया।
मोदी सरकार की कार्रवाई: FCRA लाइसेंस निलंबित
भारत में धर्मांतरण को बढ़ावा देने और हिंदू समाज को कमजोर करने की गतिविधियों में शामिल होने के कारण जनवरी 2024 में मोदी सरकार ने वर्ल्ड विजन का FCRA लाइसेंस निलंबित कर दिया।
- इससे यह संगठन भारत में विदेशी फंडिंग नहीं ले पाएगा, जिससे इसकी गतिविधियों पर काफी हद तक रोक लगेगी।
- वामपंथी और चर्च समर्थक संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया, लेकिन सरकार ने इसे राष्ट्रहित में आवश्यक कदम बताया।
USAID की फंडिंग से भारत में वर्षों से चल रहे हिंदू-विरोधी और धर्मांतरण अभियान बेनकाब हो रहे हैं। ट्रंप प्रशासन द्वारा इस एजेंसी को बंद करना एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन इसके प्रभाव अब भी दुनिया के कई हिस्सों में देखे जा सकते हैं। मोदी सरकार की सख्त कार्रवाई ने भारत में इस एजेंडे को कमजोर करने का कार्य किया है, जिससे आने वाले समय में ऐसे संगठनों पर और लगाम लगाने की संभावना बढ़ गई है।