केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने बुधवार (28 जून 2023) को कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी के अमेरिका दौरे पर हमला बोला। उन्होंने राहुल गाँधी और भारत भारत विरोधी अमेरिकी व्यवसायी जॉर्ज सोरोस के साथ साँठगाँठ का आरोप लगाया है। उन्होंने राहुल सोरोस के एक करीबी महिला के साथ राहुल गाँधी की तस्वीर भी साझा की।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मेरे हाथ में वो तस्वीर है जिसमें एक देसी महिला विराजमान है राहुल गाँधी के साथ। इनका नाम सुनीता विश्वनाथ है। ये तस्वीर अमेरिका राहुल गाँधी की उनकी मुलाकात की है।” उन्होंने कहा कि जॉर्ज सोरोस के साथ मिलकर वे क्या बात कर रहे थे, इसकी जानकारी उन्हें देश को देनी चाहिए।
Union Minister Smt. @smritiirani addresses a press conference at BJP headquarters in New Delhi. https://t.co/LkHM9sKgBZ
— BJP (@BJP4India) June 28, 2023
स्मृति ईरानी ने कहा, “सोरोस के भारत विरोधी विचार किसी से छुपे नहीं हैं। ऐसे में राहुल का भारत के बाहर भारत विरोधी लोगों से मिलना क्या दर्शाता है, यह भी उन्हें बताना चाहिए।” उन्होंने कहा कि ऐसी क्या मजबूरी थी कि राहुल गाँधी ने जॉर्ज सोरोस की सहयोगी के साथ अमेरिका में बैठक की।
स्मृति ने कहा, “जॉर्ज सोरोस और उनके द्वारा फंडेड संगठनों का राहुल गाँधी से ताल्लुक नया नहीं, पुराना है। एक पब्लिकेशन में स्पष्ट हुआ है कि सलील सेठी नाम के एक सज्जन, जो ओपन सोसायटी के ग्लोबल अध्यक्ष हैं, वो जॉर्ज सोरोस के संस्थान के साथ हैं। वे राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी थे।”
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ने इस विषय को पहले भी उठाया था और बताया था कि किस तरह जॉर्ज सोरोस भारत के लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को हटाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल की अमेरिका यात्रा बीजेपी की तरफ से उन पर की गए FIR से जुड़ी है।
एक इस्लामी कट्टरपंथी संगठन से जुडे व्यक्ति का जिक्र करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि इंटरनेट पर यह जानकारी भी उपलब्ध है कि राहुल गांधी की ४ जून की न्यूयार्क की बैठक में पंजीयन के लिए एक व्यक्ति का नाम और नंबर दिया गया है। उस व्यक्ति का नाम तजीम अंसारी है।
उन्होंने कहा कि तजीम अंसारी के संबंध इस्लामिक सर्किल ऑफ नॉर्थ अमेरिका से पाए गए है। इसके बारे में 28 फरवरी 2019 को यूएस कॉन्ग्रेस में एक प्रस्ताव में कहा था कि अंसारी का संबंध कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के साथ है।
बता दें कि राहुल गाँधी 28 मई 2023 को 10 दिवसीय अमेरिकी दौरा पर गए थे। यह दौरा कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस पार्टी को बहुमत मिलने के बाद शुरू हुई थी। इसी लेकर भाजपा उन पर आरोप लगा रही है।
कौन हैं सुनीता विश्वनाथ
सुनीता विश्वनाथ अमेरिकी नागरिक हैं और अमेरिका में मानवाधिकार संगठन ‘हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स’ (HfHR) की सह-संस्थापक हैं। वह भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद जैसे संगठनों के साथ मिलकर कई तरह के कार्यक्रमों की मेजबानी भी करती हैं। उनके लेखों में भारत के प्रति उनकी नफरत उजागर होती है।
कुछ समय पहले विवादित “काली” वेब सीरीज़ पर उठे विवाद पर इस महिला ने आकर सीरीज की निर्माता के पक्ष में हिंदू देवताओं के लिए उल-जुलूल बातें की थीं। अपने लेख में सुनीता ने महादेव की चिलम फूँकती तस्वीर लगाकर कहा था कि हिंदुओं में शराब और सिगरेट कुछ भी निषेध नहीं है। देवताओं को ये सब चढ़ता है।
सुनीता ने अपने लेख में सेक्स और समलैंगिकता को घुसाकर ये तक लिखा था कि धर्मग्रंथों में अनगिनत ऐसी कहानियाँ भरी पड़ी हैं, जिन्हें पढ़कर समलैंगिकता से पैदा हुए बच्चों का पता चलता है। सुनीता ने यह भी लिखा था कि हिंदुओं के कुछ देवता तो समलैंगिक भी हैं। काली के आपत्तिजनक दृश्यों को सपोर्ट करने के लिए सुनीता ने साफ लिखा था कि हिंदू देवता धूम्रपान, मदिरापान करते हैं। इसके अलावा वो मांस भी खाते हैं।
सुनीता विश्वनाथ को तीन साल पहले अयोध्या में प्रवेश देने से रोक दिया गया था। इतना ही नहीं, दो साल पहले उन्होंने लेख में कहा था कि भाजपा देश के हिंदुओं को झूठ बेच रही है कि वे 80 फीसदी हिंदू आबादी वाले अपने ही देश में खतरे में हैं। वे हिंदुत्व की विचारधारा का समर्थन करेंगे, तभी खुशहाल रहेंगे। सुनीता विश्वनाथ के संगठन ‘वुमेन फॉर अफ़ग़ान वुमन को सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से फंडिंग की जाती है।
कौन हैं जॉर्ज सोरोस
92 साल के जॉर्ज सोरोस एक अमेरिकी अरबपति हैं, जो स्टॉक मार्केट में निवेश करके लाभ कमाते हैं। उनका जन्म 1930 में पश्चिमी देश हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में एक यहूदी परिवार में हुआ था। कहा जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जब यहूदियों पर अत्याचार हो रहा था, तब उन्होंने झूठा पहचान पत्र बनाकर अपना और अपने परिवार की जान बचाई थी।
जब विश्वयुद्ध खत्म हुआ और हंगरी में कम्युनिस्ट सरकार बनी तो वे १९४७ में इंग्लैंड की राजधानी लंदन चले गए। वहाँ उन्होंने रेलवे स्टेशन पर कुली और क्लबों में वेटर का भी काम किया। इस दौरान वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई की। इसके बाद कुछ समय तक उन्होंने लंदन मर्चेंट बैंक में भी काम किया।
साल 1956 में वे लंदन छोड़कर अमेरिका आ गए और फाइनांस एवं इन्वेस्टमेंट में कदम रखा। उसके बाद उनकी किस्मत चमक उठी और रात दूनी दिन चौगुनी तरक्की करने लगे और खूब संपत्ति इकट्ठा की। वित्तीय पत्रिका फोर्ब्स मैगजीन के अनुसार 17 फरवरी 2023 तक उनके पास 6.7 बिलियन डॉलर (लगभग 55,455 करोड़ रुपए) की संपत्ति है।
सन 1973 में उन्होंने सोरोस फंड मैनेजमेंट की स्थापना की और कथित अत्याचार पीड़ितों की मदद करने लगे। इस दौरान उन्होंने ब्लैक लोगों की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप देना शुरू किया। उनका दावा है कि उन्होंने अब 32 अरब डॉलर (2.62 लाख करोड़ रुपए) ज़रूरतमंदों को दे चुके हैं। सन 1984 में उन्होंने ओपन सोसायटी नामक संस्था की स्थापना की। आज यह संस्था 70 से अधिक देशों में कार्यरत है।
इन सब मानवीय सेवाओं और दानों के पीछे उनका एक विकृत चेहरा भी है। उन्होंने लाभ कमाने के लिए कई संस्थानों और देशों में वित्तीय संकट खड़ा कर दिया। इसके अलावा, उन्होंने कई देशों की सरकारों के खिलाफ प्रोपगेंडा फैलाने और उन्हें गिराने के लिए फंडिंग करने का काम किया। ओपन सोसायटी का इसमें नाम आया है। इस तरह के आरोप उन पर लगते रहे हैं।
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को हटाने के लिए अथाह पैसे खर्च किए थे। साल 2003 में उन्होंने कहा था कि जॉर्ज बुश को हटाना उनके लिए ज़िंदगी और मौत का सवाल है। उन्होंने कहा था कि अगर बुश को सत्ता से हटाने की अगर कोई गारंटी लेता है और वे अपनी पूरी संपत्ति उस पर लुटा देंगे। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ बुश की कार्रवाई का भी खूब विरोध किया था। बुश को हराने के लिए उन्होंने 250 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए थे।
सोरोस को चीन, भारत के नरेंद्र मोदी, ब्लादिमीर पुतिन, अमेरिका पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेता पसंद नहीं हैं। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को ठग और पीएम मोदी को तानाशाह कहा था। उन्होंने दुनिया में ‘राष्ट्रवाद’ के बयार से लड़ने के लिए लगभग 100 अरब डॉलर की फंड की स्थापना की है। इन फंड का इस्तेमाल इन लोगों के खिलाफ प्रोपगेंडा फैलाने के लिए किया जाता है। दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में उन्होंने कहा था कि दुनिया में राष्ट्रवाद तेजी से बढ़ रहा है। इसका सबसे खतरनाक नतीजा भारत में देखने को मिला है।
सरकारों के खिलाफ प्रोपगेंडा और भारत
राफेल डील में जाँच के लिए फंडिंग: फ्रांस से भारत ने 36 राफेल विमानों को खरीदा था। इसको लेकर विपक्षी दल कॉन्ग्रेस ने हंगामा किया था और कहा था कि इसमें दलाली हुई है। हालाँकि, यहाँ की सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था। इसके बाद फ्रांस की एनजीओ शेरपा एसोसिएशन ने इसमें भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज कराकर जाँच की माँग की थी। इस एनजीओ को जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से फंड जारी किया जाता है।
भारत जोड़ो यात्रा और सोरोस: कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी की भारत जोड़ो यात्रा से भी जॉर्ज सोरोस के नाम जुड़े हैं। 31 अक्टूबर 2022 को सलिल शेट्टी नाम का एक व्यक्ति राहुल गांधी की कर्नाटक के हरथिकोट में उनकी भारत जोड़ी यात्रा में शामिल हुआ। सलिल शेट्टी जॉर्ज सोरोस द्वारा स्थापित ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन के वैश्विक उपाध्यक्ष हैं। इसके पहले शेट्टी एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़े थे।
CAA प्रोटेस्ट: सीएए प्रोटेस्ट में भी जॉर्ज सोरोस का नाम जुड़ा है। कहा जाता है कि नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ इतने बड़े पैमाने पर हुए विरोध को हवा देने के लिए जॉर्ज सोरो ने फंडिंग की थी। इसकी पुष्टि उनके बयानों से भी होती है। सोरोस ने भारत में लागू किए जा रहे NRC और CAA को मुस्लिम विरोधी बताया था।
कश्मीर से धारा 370 का खात्मा: इसी तरह कश्मीर से जब केंद्र की मोदी सरकार ने धारा 370 को खत्म कर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त किया था, तब भी सोरोस सामने आए थे। उन्होंने मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध किया था। सोरोस ने कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है। इसी तरह किसान आंदोलन और भारत द्वारा कोरोना का वैक्सीन बनाने के बाद उसके खिलाफ वैश्विक मुहिम चलाने में भी सोरोस का नाम आ चुका है।
दरअसल, जॉर्ज सोरोस की भूमिका उन हर बातों में लगभग सामने आई, जो केंद्र की भाजपा सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ रही। जॉर्ज सोरोस की नरेंद्र मोदी के खिलाफ कितनी नरफत है, इसका वे तानाशाह कहकर सबूत दे चुके हैं और समय-समय पर अन्य आरोपों के जरिए इसकी पुष्टि भई करते रहते हैं। वैसे तो सोरोस की कहानी सैकड़ों पन्नों में भी नहीं खत्म होगी, लेकिन फिलहाल संक्षिप्त में इतना ही।