असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को लोगों से औपनिवेशिक विरासत के सभी अवशेषों को मिटाने और एक आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।
उन्होंने असम के लोगों से कृषि से लेकर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) तक सभी क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक आंदोलन बनाने का संकल्प लेने की अपील की। उन्होंने राज्य आर्थिक आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए जनता से यह अपील की है।
औपनिवेशिक विरासत को खत्म करने का किया आह्वान
स्वतंत्रता सेनानी कनकलता बरुआ की जन्मदिन के मौके पर सोनितपुर जिले के गोहपुर में एक बैठक को संबोधित करते हुए सरमा ने कहा, “जैसे-जैसे भारत आजादी के 100 साल की ओर बढ़ रहा है, हम सभी को अपनी औपनिवेशिक विरासत के सभी अवशेषों को खत्म करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए। हमें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।”
17 वर्षीय कलनकता की कुर्बानी का हुआ जिक्र
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गोहपुर पुलिस स्टेशन परिसर में तिरंगा फहराने के लिए एक समूह का नेतृत्व करते समय 17 साल के कनकलता की पुलिस ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। सरमा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में नई दिल्ली में मौजूदा शासन औपनिवेशिक विरासत को खत्म करने के लिए काम कर रहा है।
आत्मनिर्भर भारत का किया अपील
सीएम सरमा ने औपनिवेशिक युग के आपराधिक न्याय कानूनों को नए अधिनियमों से बदलने, नए संसद भवन में स्थानांतरित करने और सड़कों का नाम बदलने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि मोदी और शाह ने दिखाया है कि देश औपनिवेशिक विरासत से कैसे बाहर आ रहा है। सीएम ने कहा, “औपनिवेशिक शासन के सभी अवशेषों को मिटाना होगा और उसकी जगह आत्मनिर्भर भारत बनाना होगा।”
कनकलता और अन्य जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, सरमा ने कहा कि उन्होंने जिस राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए प्रयास किया था, वह हासिल कर ली गई है, लेकिन आर्थिक स्वतंत्रता अभी भी साकार नहीं हुई है।
गांधी के महत्वों का किया जिक्र
सीएम सरमा ने महात्मा गांधी द्वारा राजनीतिक और आर्थिक स्वतंत्रता दोनों के महत्व को रेखांकित किया और राज्य के लोगों से इसके लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “असम को चावल, दाल, आलू, प्याज बाहर से मंगाना पड़ता है। जब राज्य के बाहर के कुछ व्यापारियों द्वारा आलू और प्याज की कीमतें बढ़ा दी जाती हैं, तो हम यहां आंदोलन करते हैं, लेकिन हम इन्हें अपनी जमीन पर नहीं उगाते हैं।”
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे विरोध और आक्रोश का आंदोलन न बनाएं, बल्कि कृषि से लेकर आईटी तक सभी क्षेत्रों में स्वयं के उत्पादन और क्षमताओं को बढ़ावा देने का आंदोलन बनाएं।