कांग्रेस ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को घोषणा पत्र समिति का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम करेंगे. इसमें महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा समेत कई वरिष्ठ नेताओं को जगह दी गई है. छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव को इस 16 सदस्यीय समिति का संयोजक बनाया गया है. पार्टी के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा पत्र समिति का गठन किया है.
इस समिति में चिदंबरम और सिंहदेव के अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा एवं जयराम रमेश, वरिष्ठ नेता शशि थरूर, आनंद शर्मा, गैखनगम, गौरव गोगोई, प्रवीण चक्रवर्ती, इमरान प्रतापगढ़ी, के. राजू, ओमकार सिंह मरकाम, रंजीत रंजन, जिग्नेश मेवानी और गुरदीप सप्पल को शामिल किया गया है. कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद बृहस्पतिवार को वेणुगोपाल ने कहा था कि पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए बहुत जल्द उम्मीदवारों का चयन करेगी तथा इसी महीने स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर लिया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा था कि एक-दो दिनों के भीतर घोषणा पत्र समिति भी गठित कर दी जाएगी.
उधर, कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने ऊपरी सदन के सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र लिखकर शुक्रवार को कहा कि इतने बड़े पैमाने पर सांसदों का निलंबन भारत के संसदीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के लिए हानिकारक है. खरगे ने धनखड़ को लिखे पत्र में कहा कि वह इतने अधिक सांसदों के निलंबन से दुखी एवं व्यथित हैं और हताश एवं निराश महसूस कर रहे हैं.
कांग्रेस नेता ने राज्यसभा के सभापति पर भरोसा जताते हुए कहा कि वह विपक्ष की चिंताओं को ध्यान में रखेंगे. उन्होंने धनखड़ से आपसी सहमति से तय तारीख पर उनके साथ इस मामले पर चर्चा करने और उनकी चिंताओं का समाधान करने का भी आग्रह किया. कांग्रेस प्रमुख ने कहा, ‘‘इतने बड़े पैमाने पर सदस्यों का निलंबन हमारे संसदीय लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के लिए हानिकारक है। सदस्यों का निलंबन देखना दर्दनाक, पीड़ादायक, निराशाजनक और हताश करने वाला था.”
कांग्रेस नेता ने कहा कि वह एक जिम्मेदार विपक्षी नेता के रूप में संवाद और चर्चा को बढ़ावा देने में दृढ़ता से विश्वास करते हैं, जो संसदीय लोकतंत्र का मूलभूत स्तंभ है. खरगे ने कहा, ‘‘मैं आपके ध्यान में लाना चाहूंगा कि संसद की सुरक्षा में सेंध के गंभीर मुद्दे पर बात करने के लिए ‘राज्यसभा के नियमों एवं प्रक्रिया’ के प्रासंगिक नियमों के तहत कई नोटिस पेश किए गए थे.” उन्होंने कहा, ‘‘विपक्षी दल इस मामले पर सार्थक चर्चा करने के लिए तैयार थे. अफसोस की बात है कि न तो इन नोटिस को स्वीकार किया गया और न ही विपक्ष के नेता के रूप में मुझे या विपक्षी दलों के किसी अन्य सदस्य को सदन में एक या दो मिनट के लिए भी बोलने की अनुमति दी गई.”
खरगे ने कहा, ‘‘सरकार का अपना तरीका होगा लेकिन आप भी इस पर आसानी से सहमत होंगे कि विपक्ष को अपनी बात रखनी चाहिए. मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप संसदीय लोकतंत्र के इस बुनियादी सिद्धांत का अक्षरश: पालन करेंगे.” खरगे ने इस बात पर जोर दिया कि विपक्षी दलों की स्पष्ट मांग है कि गृह मंत्री को संसदीय सुरक्षा में सेंध के महत्वपूर्ण मुद्दे और 13 दिसंबर को लोकसभा की दर्शक दीर्घा में दो घुसपैठियों के प्रवेश को संभव बनाने में सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद की भूमिका के बारे में सदन को अवगत कराना चाहिए.
खरगे ने कहा, ‘‘यह मामला संसद एवं सांसदों के लिए गंभीर चिंता का विषय है और एक राष्ट्रीय सुरक्षा का महत्वपूर्ण मुद्दा भी है, लेकिन इस मांग को स्पष्ट रूप से नजरअंदाज कर दिया गया. इसके अलावा, नियमों और प्रक्रिया का खुलेआम उल्लंघन करते हुए बड़ी संख्या में विपक्षी सांसदों का निलंबन हुआ.”
कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि इन चुनौतियों के बावजूद ‘‘मैं खुली चर्चा और संवाद के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराना चाहता हूं. मैं इन चिंताओं को रचनात्मक तरीके से दूर करने के लिए निकट भविष्य में पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख और समय पर आपके साथ बैठक करने के लिए तैयार हूं.” इससे पहले धनखड़ ने खरगे को लिखे एक पत्र में कहा कि आसन से स्वीकार न की जा सकने वाली मांग करके सदन को पंगु बना देना दुर्भाग्यपूर्ण और जनहित के खिलाफ है.
सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि धनखड़ ने खरगे को पत्र लिखकर कहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान कांग्रेस नेता का उनसे मिलने से इनकार करना संसदीय परंपराओं के अनुरूप नहीं है. राज्यसभा की कार्यवाही निर्धारित समय से एक दिन पहले ही बृहस्पतिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई थी.