कर्नाटक के वाल्मीकि कॉरपोरेशन घोटाले के पैसों का इस्तेमाल शराब खरीदने और लोकसभा चुनाव के दौरान गाड़ियों की खरीद में किया गया था। ईडी ने बुधवार (17 जुलाई 2024) को इसका खुलासा किया। ईडी ने इस मामले में कॉन्ग्रेस विधायक और राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री बी नागेंद्र को गिरफ्तार किया है। नागेंद्र 18 जुलाई तक ईडी की हिरासत में हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने बताया है कि विधायक बी नागेंद्र से जुड़े लोग “फंड डायवर्जन और कैश मैनेजमेंट” में शामिल हैं। एजेंसी ने दावा किया कि “आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 18 फर्जी खातों में (वाल्मीकि निगम के फंड से) करीब 90 करोड़ रुपए भेजे गए थे। फिर डायवर्ट किए गए फंड को फर्जी और फर्जी खातों के जरिए बाँट दिया गया। इन पैसों का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव के दौरान भारी मात्रा में शराब खरीदने और गाड़ियों को खरीदने में किया गया।
इस बीच, ईडी अधिकारी पूर्व मंत्री बी नागेंद्र की पत्नी मंजुला को शहर के डॉलर्स कॉलोनी स्थित आवास से बेंगलुरु के शांतिनगर स्थित ईडी दफ्तर ले गए। वहाँ मंजुला से काफी देर तक पूछताछ की। बता दें कि बी नागेंद्र की हिरासत अवधि गुरुवार (18 जुलाई 2024) को समाप्त हो रही है, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। ईडी बी नागेंद्र की हिरासत बढ़ाने की माँग करेगी।
बता दें कि ईडी ने बीते गुरुवार (12 जुलाई 2024) को कर्नाटक के कॉन्ग्रेस विधायक बी नागेंद्र को गिरफ्तार किया था। उनके घर पर 2 दिनों की छापेमारी के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। नागेंद्र को कर्नाटक के वाल्मीकि निगम में करोड़ों के अवैध ट्रांसफर घोटाला मामले में गिरफ्तार किया गया है।
बी नागेन्द्र ने जून माह में सिद्दारमैया सरकार से मंत्रिपद से इस्तीफ़ा दे दिया था। वह सिद्दारमैया सरकार में अनुसूचित जनजातीय कल्याण मंत्री थे। उन्होंने यह इस्तीफ़ा कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति कल्याण विकास निगम (KMVSTDC) में करोड़ों की गड़बड़ी में नाम सामने आने के बाद दिया था।
बी नागेन्द्र जी जिस महर्षि वाल्मीकि फंड घोटाले में गिरफ्तार किए गए हैं, उसकी जाँच CBI, ED और राज्य सरकार की SIT कर रही है। यह पूरा मामला लगभग ₹95 करोड़ सरकारी धन के दुरुपयोग और उसके अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किए जाने से जुड़ा हुआ है।
क्या है पूरा घोटाला?
कर्नाटक सरकार KMVSTDC प्रदेश की जनजातीय जनता के कल्याण के लिए चलाती है। इसके अंतर्गत जनजातीय जनसंख्या के लिए रोजगार समेत विशेष योजनाएँ लाई जाती हैं। कर्नाटक सरकार इसके लिए अलग से बजट देती है। इसी महर्षि वाल्मीकि फंड में घोटाले की बात सामने आई है।
यह पूरा मामला एक आत्महत्या से चालू हुआ था। मई, 2024 में इसी निगम से जुड़े एक 48 वर्षीय कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली थी। उसकी मौत के बाद एक सुसाइड नोट मिला था। इसमें उसने आरोप लगाया था कि उसके उच्चाधिकारियों ने उस पर इस बात के लिए दबाव बनाया था कि वह निगम के खातों से पैसा ट्रांसफर करे।
उसने आरोप लगाया था कि यह काम निगम का पैसा हड़पने के लिए किया गया था। उसका आरोप था कि यह काम एक मंत्री के मौखिक आदेशों के आधार पर किया गया था। उसने अपने विभाग के अलावा यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया के कर्मचारियों पर भी आरोप लगाए थे। इसके बाद पूरे प्रदेश में हंगामा मच गया था।
आत्महत्या करने वाले कर्मचारी चंद्रशेखर ने सुसाइड नोट में बताया था कि उसे उच्चाधिकारियों ने इस बात के लिए निर्देशित किया था कि वह निगम के एक खाते से दूसरे खाते में पैसा ट्रांसफर करने के लिए पत्र लिखे। यह पैसा यूनियन बैंक के वसंत नगर ब्रांच से एमजी रोड ब्रांच में डाला जाना था।
इसी के तहत वाल्मीकि निगम के खातों से निकाला गया पैसा इसके बाद अन्य खातों में भेज दिया गया। इस पूरे खेल में ₹187 करोड़ का लेनदेन हुआ। इसमें से लगभग ₹88 करोड़ अवैध खातों में भेजा गया। जब यह मामला खुला तो चंद्रशेखर डर गया और उसने आत्महत्या कर ली।