राहुल गांधी के विवादित बयान को लेकर ओडिशा में दर्ज FIR पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी के खिलाफ ओडिशा में FIR दर्ज करना तब तक संभव नहीं है, जब तक कि राज्य सरकार से अनुमति न ली जाए। उनका यह भी कहना था कि CRPC (भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता) के तहत किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ जाँच के लिए पहले अनुमति आवश्यक होती है।
कांग्रेस का पक्ष:
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अधिकार क्षेत्र पर सवाल: ओडिशा कांग्रेस के नेताओं ने सवाल उठाया है कि क्या राहुल गांधी का बयान झारसुगुडा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी पूछा कि क्या FIR दर्ज करते समय पुलिस ने उच्च अधिकारियों से परामर्श लिया था।
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DGP से मुलाकात: कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि FIR केवल राज्य की भाजपा सरकार को खुश करने के लिए दर्ज की गई है। उन्होंने ओडिशा के DGP से मुलाकात करने की योजना बनाई है।
पुलिस का पक्ष:
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IG का स्पष्टीकरण: ओडिशा के IG हिमांशु लाल ने स्पष्ट किया कि FIR दर्ज करने और उसकी जांच का अधिकार पुलिस को है, और यह अधिकार केवल स्थानीय क्षेत्र तक सीमित नहीं है। अगर बयान दूसरे राज्य में प्रकाशित हुआ या देखा गया है, तो उस पर भी कार्रवाई की जा सकती है।
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CRPC धारा 197: IG ने बताया कि CRPC की धारा 197 के तहत लोकसेवक के अपराध की जाँच के लिए कोई अनुमति जरूरी नहीं है। अनुमति केवल मुकदमा चलाने के लिए ली जाती है, और यह तब लागू होती है जब आरोपित लोकसेवक ने अपनी ड्यूटी के दौरान अपराध किया हो।
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शिकायत पर कार्रवाई: IG हिमांशु लाल ने कहा कि राहुल गांधी के बयान से शिकायतकर्ता को ठेस पहुंची थी, जिससे FIR दर्ज की गई।
कर्नाटक FIR पर विरोधाभास:
कांग्रेस का आरोप है कि ओडिशा में FIR दर्ज होने पर अधिकार क्षेत्र को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, जबकि उन्होंने कुछ महीने पहले कर्नाटक में एक FIR दर्ज की थी और उत्तर प्रदेश में एक पत्रकार पर कार्रवाई के लिए टीम भेजी थी। इस पर कांग्रेस नेताओं को यह तर्क देने का अवसर मिला कि जब वे खुद ऐसे मामलों में कार्रवाई कर सकते हैं, तो ओडिशा में क्यों नहीं?